ओशो कहते हैं कि जीवन तब तक बोझ बन जाता है, जब तक हम दूसरों की सोच और उनकी अपेक्षाओं के अनुसार खुद को ढालने की कोशिश करते रहते हैं।
“लोग क्या कहेंगे” यह सोच हमें भीतर से खोखला करती है। हम अपनी असली पहचान को भूलकर एक ऐसा चेहरा पहन लेते हैं जो सच नहीं होता। धीरे-धीरे वही झूठा चेहरा हमारी पहचान बन जाता है और हम खुद से दूर हो जाते हैं।
ओशो के अनुसार किसी को खुश करने की कोशिश का कोई अंत नहीं है। जब हम सबको खुश रखने के पीछे दौड़ते हैं, तब हम अपने ही अस्तित्व को खो देते हैं।
जीवन का सबसे पहला सत्य है—स्वयं को स्वीकारना।
जब हम खुद को जैसे हैं वैसे स्वीकार लेते हैं, एक गहरी शांति और आंतरिक स्वतंत्रता प्रवाहित होने लगती है।
खुद से प्रेम करना सीखो
ओशो स्पष्ट कहते हैं—
“जो व्यक्ति स्वयं से प्रेम नहीं करता, वह किसी से भी सच्चा प्रेम नहीं कर सकता।”
जब आप खुद को स्वीकारना सीखते हैं, तभी आप दूसरों को भी बिना शर्त स्वीकार कर पाते हैं।
दूसरों की राय से मुक्त होना ही सच्ची स्वतंत्रता है।
और जब यह स्वतंत्रता भीतर जन्म लेती है, तब कोई भी आपको नियंत्रित नहीं कर सकता।
ओशो बताते हैं कि खुद को बदलने की कोशिश मत छोड़ो, बल्कि अपने हर पहलू को समझने की हिम्मत रखो।
सच्चा परिवर्तन वहीं से शुरू होता है।
असली स्वतंत्रता बाहर नहीं, भीतर है
ओशो समझाते हैं कि जीवन को दूसरों के नियमों से नहीं, अपने अनुभवों से जीना चाहिए।
जब आप दिखावा छोड़ देते हैं, तो अंदर से एक उजाला प्रकट होता है।
वही प्रकाश आपको मार्ग दिखाता है, और जीवन का हर पल साधना बन जाता है।
ओशो कहते हैं—
“जो खुद को स्वीकार लेता है, उसे पूर्ण अस्तित्व स्वीकार कर लेता है।”
जीवन की सुंदरता तभी खिलती है, जब हम किसी को कुछ साबित करना बंद कर देते हैं।
क्योंकि स्वतंत्रता कहीं बाहर नहीं—हमारे भीतर है।
- दूसरों की परवाह छोड़ो, खुद को स्वीकारो।
- दिखावा बंद करो, सच्चाई को अपनाओ।
- खुद से प्रेम करना सीखो, तभी दुनिया प्रेम करना सीखेगी।
- असली स्वतंत्रता भीतर से आती है।
जब आप स्वयं बनना सीख जाते हैं—तब आपका जीवन सचमुच खिल उठता है।
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