रायपुर.छत्तीसगढ़ सरकार की सामाजिक सुरक्षा योजनाएं महासमुंद जिले में जरूरतमंदों के जीवन में बदलाव की कहानी लिख रही हैं। बुजुर्गों, विधवाओं, दिव्यांगजनों और निराश्रित व्यक्तियों को अब न केवल आर्थिक सहायता मिल रही है, बल्कि समाज में गरिमा और आत्मसम्मान के साथ जीने का अवसर भी प्राप्त हो रहा है।
सामाजिक कल्याण विभाग द्वारा योजनाओं का पारदर्शी और प्रभावी संचालन सुनिश्चित किया गया है, जिससे पात्र लाभार्थियों को समय पर पेंशन राशि प्राप्त हो रही है। सितंबर 2025 तक महासमुंद जिले के 99,381 हितग्राहियों को विभिन्न पेंशन योजनाओं के अंतर्गत लाभ मिल चुका है।
इनमें—
- इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना से 34,310 बुजुर्ग,
- राष्ट्रीय विधवा पेंशन योजना से 9,997 महिलाएं,
- राष्ट्रीय दिव्यांग पेंशन योजना से 973 दिव्यांगजन,
- सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना के अंतर्गत 24,686 हितग्राही,
- सुखद सहारा पेंशन योजना से 9,272 लाभार्थी, और
- मुख्यमंत्री पेंशन योजना से 20,143 पात्र व्यक्ति लाभान्वित हो चुके हैं।
इन योजनाओं ने जिले के हजारों परिवारों को आर्थिक स्थिरता प्रदान की है। लाभार्थी अब आत्मनिर्भर होकर गरिमा के साथ जीवनयापन कर पा रहे हैं।
बुजुर्गों और विधवाओं को नई उम्मीद
वृद्धजन और विधवा महिलाओं के लिए यह पेंशन एक आर्थिक सहारा बन चुकी है। इससे वे अपनी बुनियादी जरूरतें पूरी करने के साथ जीवन में आत्मविश्वास बनाए रख पा रही हैं।
दिव्यांगजनों के लिए सशक्त पहल
दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 के प्रावधानों के तहत जिले में पात्र दिव्यांग व्यक्तियों को कृत्रिम अंग, सहायक उपकरण और आवश्यक सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं। इससे उनकी गतिशीलता और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिला है।
परिवार सहायता योजना से राहत
राष्ट्रीय परिवार सहायता योजना के तहत अब तक 54 जरूरतमंद परिवारों को आकस्मिक परिस्थितियों में आर्थिक सहायता दी गई है। यह सहायता उन परिवारों के लिए राहत का बड़ा स्रोत बनी है, जो अचानक उत्पन्न कठिनाइयों का सामना कर रहे थे।
संवेदनशील प्रशासन का मानवीय चेहरा
महासमुंद में सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का प्रभाव प्रशासनिक संवेदनशीलता और पारदर्शिता का उदाहरण है। शासन की यह पहल “सुरक्षा और सम्मान दोनों साथ” के सिद्धांत को साकार कर रही है।
इन योजनाओं से समाज के अंतिम पंक्ति के व्यक्ति तक मदद पहुंच रही है, जिससे समावेशी विकास और खुशहाल समाज की दिशा में ठोस कदम उठाए जा रहे हैं।





