Thursday, September 28, 2023
HomeदेशAditya L1 : सूर्य की ओर जा रहे आदित्य एल1 की ऑर्बिट...

Aditya L1 : सूर्य की ओर जा रहे आदित्य एल1 की ऑर्बिट दूसरी बार बढ़ाई गई, जानें क्या है L1 पॉइंट?

Share This

Aditya L1 : बेंगलुरू. इसरो (ISRO) ने आज मंगलवार 5 सितंबर को रात 2.45 बजे आदित्य L1 स्पेसक्रॉफ्ट की ऑर्बिट दूसरी बार बढ़ाई। अब ये पृथ्वी की 282 किमी x 40,225 किमी की कक्षा में पहुंच गया है। यानी उसकी पृथ्वी से सबसे कम दूरी 282 किमी और सबसे ज्यादा दूरी 40,225 किमी है।

इसरो (ISRO) ने बताया कि इस ऑपरेशन के दौरान सैटेलाइट को मॉरिशस, बेंगलुरु और पोर्ट ब्लेयर में बने ISTRAC/ISRO के ग्राउंड स्टेशनों से ट्रैक किया गया। अब अगली बार 10 सितंबर को रात करीब 2.30 बजे तीसरी बार आदित्य L1 की ऑर्बिट बढ़ाने के लिए कुछ देर के लिए थ्रस्टर फायर किए जाएंगे।

आदित्य एल1 को 2 सितंबर को सुबह 11.50 बजे PSLV-C57 के XL वर्जन रॉकेट के जरिए श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया था। लॉन्चिंग के 63 मिनट 19 सेकेंड बाद स्पेसक्राफ्ट को पृथ्वी की 235 Km x 19,500 Km की ऑर्बिट में स्थापित कर दिया था। यह करीब 4 महीने बाद यह 15 लाख Km किमी दूर लैगरेंज पॉइंट-1 तक पहुंचेगा। इस पॉइंट पर ग्रहण का प्रभाव नहीं पड़ता, जिसके चलते यहां से सूरज पर सरलता से रिसर्च की जा सकती है। ​(Aditya L1 )

जानें आदित्य L1 का सफर

  • PSLV रॉकेट ने आदित्य को 235 x 19,500 किमी की पृथ्वी की कक्षा में छोड़ा।
  • 16 दिनों तक पृथ्वी की ऑर्बिट में रहेगा। 5 बार थ्रस्टर फायर कर ऑर्बिट को बढ़ाया जाएगा।
  • साथ ही Aditya L1  के थ्रस्टर फायर होंगे और ये एल1 पॉइंट की ओर निकल जाएगा।
  • 110 दिन के सफर के बाद आदित्य ऑब्जरवेटरी इस पॉइंट के करीब पहुंच जाएगा।
  • थ्रस्टर फायरिंग के जरिए आदित्य को L1 पॉइंट की कक्षा में डाल दिया जाएगा।

जानें लैगरेंज पॉइंट-1 (L1) के बारे में

लैगरेंज पॉइंट का नाम इतालवी-फ्रेंच मैथमैटीशियन जोसेफी-लुई लैगरेंज (Italian-French mathematician Josephy-Louis Lagrange) के नाम पर रखा गया है। इसे बोलचाल में L1 नाम से जाना जाता है। ऐसे पांच पॉइंट धरती और सूर्य के बीच हैं, जहां सूर्य और पृथ्वी की ग्रेविटी बैलेंस हो जाती है और सेंट्रिफ्यूगल फोर्स बन जाती है।

Trending G.K. Quiz : चंद्रमा की धूल को क्या कहते हैं? क्या आप जानते हैं Chandrayaan-3 का वजन कितना है?

ऐसे में इस जगह पर अगर किसी ऑब्जेक्ट को रखा जाता है तो वह आसानी उस पॉइंट के चारो तरफ चक्कर लगाना शुरू कर देता है। पहला लैगरेंज पॉइंट धरती और सूर्य के बीच 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर है। ऐसे कुल 5 लैंगरेंज पॉइंट मौजूद है।

इसरो (ISRO) का कहना है कि L1 पॉइंट के आस-पास हेलो ऑर्बिट में रखा गया सैटेलाइट सूर्य को बिना किसी ग्रहण के लगातार देख सकता है। इससे रियल टाइम सोलर एक्टिविटीज और अंतरिक्ष के मौसम पर भी नजर रखी जा सकेगी। ये अगले साल 6 जनवरी 2024 को L1 पॉइंट तक पहुंचेगा।


Share This
RELATED ARTICLES

Most Popular