महासमुंद. छत्तीसगढ़ प्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ, जिला शाखा महासमुंद के जिलाध्यक्ष ओम नारायण शर्मा ने राज्य की शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाया है। उन्होंने राज्यपाल, मुख्यमंत्री, केंद्रीय शिक्षा मंत्री, राज्य शिक्षा मंत्री और प्रमुख सचिव को पत्र लिखकर लोक शिक्षण संचालनालय (डीपीआई) और राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) के एकीकरण तथा आकलन प्रक्रिया की जांच के सुझाव दिए हैं।
पत्र में उल्लेख किया गया है कि डीपीआई और एससीईआरटी के अलग-अलग कार्य करने से शिक्षा विभाग में समन्वय की कमी है। परस्पर विरोधी निर्देशों के कारण समय- समय पर शिक्षकों और विद्यार्थियों को भारी परेशानी होती है। विशेष रूप से, कक्षा 1 से 8 तक के मासिक, तिमाही, अर्धवार्षिक, और वार्षिक मूल्यांकन में भिन्नता भ्रम पैदा करती है। यह समस्या 2015 से 2025 तक शिक्षा की गुणवत्ता को प्रभावित कर रही है।
शर्मा ने कहा, डीपीआई और एससीईआरटी के एकीकरण से एक एकीकृत शिक्षा निदेशालय बनाया जाए, जिससे निर्देशों में एकरूपता आए और संसाधनों का दोहराव रुके। इससे प्रति वर्ष 1-2 करोड़ रुपये की बचत हो सकती है। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के 5+3+3+4 ढांचे के अनुरूप मूल्यांकन नीति लागू करने और 2015-2025 के आकलन दस्तावेजों की जांच के लिए छह माह में स्वतंत्र समिति गठित करने का प्रस्ताव दिया।
पत्र में राज्यपाल से हस्तक्षेप, केंद्रीय शिक्षा मंत्री से एनईपी 2020 के कार्यान्वयन में सहयोग और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय जो स्कूल शिक्षा विभाग भी देख रहे हैं उनसे त्वरित कार्रवाई का अनुरोध किया गया है। शिक्षकों और हितधारकों के साथ पारदर्शी विचार-विमर्श की मांग भी की गई है। शिक्षा के जानकारों का कहना है कि यह प्रस्ताव नीति-निर्माण में महत्वपूर्ण चर्चा का विषय बन सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि एकीकरण से प्रशासनिक जटिलताएँ कम होंगी, लेकिन इसके लिए विस्तृत अध्ययन आवश्यक है। शर्मा ने आशा जताई कि सरकार उनके सुझावों पर गंभीरता से विचार करेगी। यह पहल छत्तीसगढ़ की शिक्षा व्यवस्था को और सशक्त बनाने की दिशा में एक सकारात्मक प्रयास है।
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