Thursday, March 23, 2023
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Diwali 2022 : भगवान श्रीराम के अयोध्या आगमन के अलावा इन कारणों से भी मनाते हैं दिवाली

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Diwali 2022: दिवाली के पर्व की शुरूआत धनतेरस के साथ शुरू हो गई है। 24 अक्टूबर 2022 को दिवाली का पर्व धूमधाम से मनाया जाएगा। जैसा कि सभी जानते रावण का वध करने के बाद दिवाली के दिन प्रभु श्रीराम अयोध्या लौटे थे। श्रीराम जी के स्वागत में निवासियों ने दीपक जलाए थे, और उत्सव मनाया था।हालांकि दिवाली मनाने के पीछे और भी कई कारण हैं, आइये जानते हैं इन वजहों के बारे में।

पांडवों का हस्तिनापुर आगमन

12 साल वनवास और 1 साल के अज्ञातवास को पूरा कर कार्तिक मास की अमावस्या के दिन पांडव हस्तिनापुर लौटे थे। इसके चलते पांडवों की हितैषी प्रजा ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था।

राजा विक्रमादित्य का राज्याभिषेक

देश के महान राजा विक्रमादित्य का राजतिलक दिवाली के दिन हुआ था। इसलिए यह त्योहार मनाया जाता है। राजा विक्रमादित्य एक चक्रवर्ती सम्राट थे।

राजा बलि का स्वागत

भगवान विष्णु ने अपने वामन अवतार में राजा बलि से तीन पग भूमि दान में लेकर उनसे उनका सभी कुछ हासिल कर लिया था। बाद में उन्हें सुतल लोक का राजा बनाया।  सुतल में रहने वाले लोग को जब इस बात का पता चला तो उन्होंने दिवाली के दिन दीप जलाकर राजा बलि का स्वागत किया।

भगवान महावीर को निर्वाण की प्राप्ति

जैन समुदाय के लिए भी यह दिन विशेष है। इस दिन 24वें और अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर को निर्वाण की प्राप्ति हुई थी। जैन समुदाय के लोग भी दिवाली मनाते हैं।

देवी लक्ष्मी समुद्र मंथन में प्रकट होना

ऋषि दुर्वासा के शाप के कारण स्वर्ग श्रीविहिन हो गया था। इस कारण देवी लक्ष्मी को स्वर्ग सहित भगवान विष्णु को छोड़कर समुद्र में जाना पड़ा। बाद में जब देवताओं और असुरों के बीच युद्ध हुआ और समुद्र मंथन किया गया तब अन्य रत्नों के साथ माता लक्ष्मी प्रकट हुई। दिवाली के दिन ही देवी लक्ष्मी ने भगवान विष्णु से विवाह किया था, इसके बाद से दिवाली मनाई जाती है।

महर्षि दयानंद सरस्वती 

आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानंद सरस्वती को कार्तिक अमावस्या के दिन ही निर्वाण प्राप्त हुआ था। इस कारण आर्य समाज दिवाली का त्योहार मनाता है।

नरकासुर वध 

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार द्वापर युग में भगवान कृष्ण ने 16 हजार स्त्रियों को बंदी बनाकर रखने वाले नरकासुर का वध किया था।भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर को मारकर स्त्रियों को मुक्त कराया था। इसी विजय के कारण दिवाली का त्योहार मनाया जाता है।

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