नवरात्रि हवन: इन दिनों नवरात्रि पर्व चल रहा है. मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की नौ दिनों आराधना की जाती है. पर्व के दौरान अष्टमी और नवमी का दिन महत्वपूर्ण होता है. इस दिन मां दुर्गा की विशेष पूजा, आरती, हवन के साथ आराधना की जाती है. आइये जानते हैं हवन किस तरह किया जाता है.
हवन सामग्री
हवन कुंड : हवन करने के लिए आपके पास हवन कुंड होना जरूरी है. ये नहीं है तो 8 ईंटों से भी हवन कुंड बना सकते हैं. हवन कुंड को गोबर या मिट्टी से लेप करें.कुंड इस प्रकार हो कि वह बाहर से चौकोर रहें. लंबाई, चौड़ाई व गहराई समान हो. फिर इस पर स्वास्तिक बनाकर इसकी पूजा करें. हवन कुंड में आम की लकड़ी से अग्नि प्रज्वलित करते हैं. अग्नि प्रज्वलित करने के बाद इस पवित्र अग्नि में फल, शहद, घी, काष्ठ इत्यादि पदार्थों की आहुति दी जाती है.
हवन सामग्री:- हवन सामग्री जितनी हो सके अच्छा है, ऐसा नहीं हो पा रहा है तो काष्ठ, समिधा और घी से भी काम चला सकते हैं. आम या ढाक की सूखी लकड़ी. नवग्रह की नौ समिधा (आक, ढाक, कत्था, चिरचिटा, पीपल, गूलर, जांड, दूब, कुशा) रखें.
अन्य सामग्री लिस्ट- कूष्माण्ड (पेठा), पान, सुपारी, लौंग जोड़े, छोटी इलायची, कमल गट्ठे, जायफल 2, मैनफल 2, पीली सरसों, पंच मेवा, सिन्दूर, उड़द, शहद, ऋतु फल 5, नारियल, गूगल 10 ग्राम, लाल वस्त्र, चुन्नी, गिलोय, सराईं, आम के पत्ते, सरसों का तेल, कपूर, पंचरंग, केसर, लाल चंदन, सफेद चंदन, सितावर, कत्था, भोजपत्र, काली मिर्च, मिश्री, अनारदाना. चावल, घी, जौ 1.5 किलो, तिल, बूरा, अगरबत्ती, चंदन, धूप दीप.
हवन की विधि व मंत्र:- हवन करने से पूर्व स्वच्छता जरूरी है. सबसे पहले प्रतिदिन की पूजा करने के बाद अग्नि स्थापना करें फिर आम की चौकोर लकड़ी लगाकर, कपूर रखकर जला दें. उसके बाद इन मंत्रों से आहुति देते हुए हवन प्रारंभ करें. इन मंत्रों से आहुति दें
ॐ आग्नेय नम: स्वाहा (ॐ अग्निदेव ताम्योनम: स्वाहा).
ॐ गणेशाय नम: स्वाहा.
ॐ गौरियाय नम: स्वाहा.
ॐ नवग्रहाय नम: स्वाहा.
ॐ दुर्गाय नम: स्वाहा.
ॐ महाकालिकाय नम: स्वाहा.
ॐ हनुमते नम: स्वाहा.
ॐ भैरवाय नम: स्वाहा.
ॐ कुल देवताय नम: स्वाहा.
ॐ स्थान देवताय नम: स्वाहा
ॐ ब्रह्माय नम: स्वाहा.
ॐ विष्णुवे नम: स्वाहा.
ॐ शिवाय नम: स्वाहा.
ॐ जयंती मंगलाकाली भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवाधात्री स्वाहा.
स्वधा नमस्तुति स्वाहा.
ॐ ब्रह्मामुरारी त्रिपुरांतकारी भानु: क्षादी: भूमि सुतो बुधश्च: गुरुश्च शक्रे शनि राहु केतो सर्वे ग्रहा शांति कर: स्वाहा.
ॐ गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु, गुरुर्देवा महेश्वर: गुरु साक्षात परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नम: स्वाहा.
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिंम् पुष्टिवर्धनम्/ उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् मृत्युन्जाय नम: स्वाहा.
ॐ शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे, सर्व स्थार्ति हरे देवि नारायणी नमस्तुते.
नवग्रह के नाम या मंत्र से आहुति दें. गणेशजी की आहुति दें. सप्तशती या नवार्ण मंत्र से जप करें. सप्तशती में प्रत्येक मंत्र के बाद स्वाहा का उच्चारण करके आहुति दें. प्रथम से अंत अध्याय के अंत में पुष्प, सुपारी, पान, कमल गट्टा, लौंग 2 नग, छोटी इलायची 2 नग, गूगल व शहद की आहुति दें तथा पांच बार घी की आहुति दें. यह सब अध्याय के अंत की सामान्य विधि है.
हवन के बाद नारियल गोला में कलावा बांधकर फिर चाकू से काटकर ऊपर के भाग में सिन्दूर लगाकर घी भरकर चढ़ा दें. फिर पूर्ण आहूति नारियल में छेद कर घी भरकर, लाल तूल लपेटकर धागा बांधकर पान, सुपारी, लौंग, जायफल, बताशा, अन्य प्रसाद रखकर पूर्ण आहुति मंत्र बोले- ‘ॐ पूर्णमद: पूर्णमिदं पूर्णात, पूर्णमुदच्यते, पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते.. स्वाहा.’
पूर्ण आहुति के बाद यथा संभव दक्षिणा अर्पित करें. इसके बाद त आरती करके हवन संपन्न करें और अंत में क्षमा याचना जरूर करें.
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