नक्षत्र चर्चा : आज हम यहां 27 नक्षत्रों में से चार नक्षत्र पूर्वा फाल्गुनी, उत्तरा फाल्गुनी, हस्त और चित्रा के बारे में विवेचन करेंगे। पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र सिंह राशि के अंतर्गत हैं, वहीं उत्तरा फाल्गुनी के चरण दो राशियों सिंह और कन्या में बंटे हुए हैं। हस्त नक्षत्र की आकृति हथेली की तरह और चित्रा की आकृति मोती की तरह मानी गई हैं। यहां हम जानते हैं कि इन नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातकों का फलादेश क्या है..
पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र (Poorva Phalguni Nakshatra)
पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र की राशि चक्र में 133.20 अंश से 146.40 अंश के बीच की है। यह नक्षत्र भी मघा की तरह सिंह राशि के अंतर्गत आता है। इसे फाल्गुनी भी कहा जाता है। इस नक्षत्र में दो तारों की स्थिति मानी गई है। इसकी आकृति मचान की तरह मानी गई है। इसके प्रथम चरण के स्वामी सूर्य, द्वितीय बुध, तृतीय शुक्र और चतुर्थ चरण के स्वामी मंगल हैं। नक्षत्र देवता भग, नक्षत्र स्वामी शुक्र है। वहीं गण मनुष्य योनि मूषक और नाड़ी मध्य है। इसके चरण अक्षरों में मो, ट, टी, टू शामिल हैं।
पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में जन्में जातकों का फलादेश (Horoscope of the people born in Poorva Phalguni Nakshatra)
इस नक्षत्र में जन्में लोग बलशाली होते हैं। इनका व्यक्तित्व बेहद आकर्षक होता है। ये जातक घूमने फिरने के शौकिन, स्वतंत्र रहने वाले, जरूरतमंदों की मदद करने वाले तथा विशेष क्षेत्र में प्रसिद्ध होते हैं। ये जातक हर कार्य को निष्ठा और ईमानदारी के साथ पूरा करते हैं। किसी मार्ग अपना तरक्की करने के ये पूरी तरह खिलाफ होते हैं। इन जातकों का पारिवारिक जीवन सुखद होता है। सुंदर स्त्री मिलती है। संतान आज्ञाकारी होते हैं।
इन नक्षत्र में जन्म लेने वाली महिलाएं विनम्र, कलाकार, धर्म-कर्म में प्रवीण और हर किसी की सहायता में तत्पर रहने वाली होती हैं। इनकी शिक्षा दीक्षा अच्छी रहती हैं। अनुसंधान कार्य इन्हें प्रिय होता है। पारिवारिक जीवन अच्छा रहता है। ये बेहतर गृहिणी साबित होती हैं। हालांकि कई बार इनमें खुद को अधिक बुद्धिमान समझने की प्रवृत्ति आ जाती है। जिससे कुछ समस्या भी उत्पन्न हो सकती है।
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उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र (Uttara Phalguni Nakshatra)
यह नक्षत्र राशि चक्र के 146.40 अंश से 160.00 अंश के बीच स्थित हैं। इसे अर्यमा, उत्तर भ्नाम के नाम से भी जाना जाता है। यह नक्षत्र सिंह और कन्या राशि के अंतर्गत विभाजित है। प्रथम चरण सिंह राशि में और शेष तीन चरण कन्या राशि के अंतर्गत आते हैं। इस नक्षत्र में दो तारों की स्थिति मानी गई है। जो शैया की तरह की होती है। इस नक्षत्र के देवता अर्यमा, स्वामी ग्रह सूर्य हैं। नक्षत्र गण मनुष्य, योनि गौ और नाड़ी आदि है। इस नक्षत्र के चरण अक्षरों में टे, टो, पा, पी शामिल हैं।
उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में जन्में जातकों का फलादेश (Horoscope of the people born in Uttara Phalguni Nakshatra)
इस नक्षत्र में जन्म जातकों की लंबाई अच्छी होती है। साथ ही नाक भी लंबी होती है। इनके स्वभाव में धर्म-कर्म, ईमानदारी, सेवाभाव और जिम्मेदारी को पूरा करने की प्रवृत्ति होती है। इसके चलते ये जीवन में संतुष्ट और सुखी होते हैं। ये स्वतंत्रता प्रिय होते हैं, इसके चलते कई बार इनमें क्रोध, हठपन की अधिकता हो जाती हैं। ये स्वच्छ हृदय होते हैं। ये किसी के साथ धोखेबाजी नहीं करते हैं। ये जातक दूसरों के कार्यों को पूरी तन्मयता से पूरी करते हैं, लेकिन स्वयं के कार्यों में लापरवाही बरतते हैं। ये जातक मेहनत से पीछे नहीं हटते हैं। इनकी रूचि पठन-पाठन, अनुशंधान, लेखन आदि में होती है।
इस नक्षत्र में जन्मी महिलाओं का कद मध्यम और लंबी नासिका वाली होती हैं। ये शांतप्रवृत्ति और सैद्धांतिक होती हैं। विज्ञान, गणित विषयों में इनकी रूचि होती है। शिक्षण, प्रशासनिक क्षेत्र में कामयाबी हासिल करती हैं। इसके अलावा अभिनय के क्षेत्र को भी चुन सकती हैं। इनका दाम्पत्य जीवन सुखी होता है।
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हस्त नक्षत्र (Hasta Nakshatra)
इस नक्षत्र की राशि चक्र में 160 अंश से 173.20 अंश के बीच की स्थिति है। इसे भानु, अर्क, असण आदि नामों से भी जाना जाता है। इस नक्षत्र में पांच तारे माने गए हैं। ये हथेली की भांति दिखाई देते हैं। इसके देव सूर्य, और स्वामी ग्रह चंद्र हैं। वहीं गण देव, योनि महिष और नाड़ी आदि है। इसके चारों चरण कन्या राशि के अंतर्गत आते हैं। जिसमें चार चरण अक्षर पू, ष, ण, ठ हैं। इसके प्रथम चरण के स्वामी मंगल, द्वितीय शुक्र, तृतीय बुध और चतुर्थ चरण के स्वामी चंद्र हैं।
हस्त नक्षत्र में जन्में जातकों का फलादेश (Horoscope of the people born in Hasta Nakshatra)
इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातकों का शारीरिक गठन हृष्ट पुष्ट होता है। ये दूसरों की मदद करने वाले और शांति प्रिय होते हैं। इनके चेहरे में हमेशा मुस्कान होती है। अपने व्यक्तित्व से दूसरे लोगों से सराहना प्राप्त करते हैं। ये जातक अनुशासित और जीवन में आने वाली समस्याओं को पूरे विवेक से दूर करते हैं। इन्हें किसी की अधीनता रास नहीं आती है। ये कारोबार या उद्योग के क्षेत्र में आगे बढ़ते हैं। अपने अनुभव के आधार पर ये जातक अच्छे सलाहकार साबित होते हैं। किसी तरह के विवाद को सुलझाने में इन्हें महारत हासिल होती है। इनका पारिवारिक जीवन सुखमय होता है। सुशील पत्नी मिलती है।
इस नक्षत्र में जन्मी महिलाओं खूबसूरत, इनका स्वभाव आकर्षक होता है। सभी का आदर करने वाली व लज्जाशील होती हैं। ये स्वतंत्रता प्रिय होती हैं। इसके चलते कई बार इनके विरोधी बन जाते हैं। इनका दाम्पत्य जीवन सुखद माना जाता है।
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चित्रा नक्षत्र (Chitra Nakshatra)
चित्रा नक्षत्र की राशि चक्र में 173.20 अंश से 188.40 अंश के बीच की स्थिति मानी गई है। इसे अन्य नाम त्वष्टा, सरवर्धक से भी पुकारा जाता है। इस नक्षत्र के दो चरण कन्या राशि और दो चरण तुला राशि में आते हैं। इसमें एक तारे की स्थिति कही जाती है। जो मोती के सामान होता है। इस नक्षत्र के देवता त्वष्टा, स्वामी ग्रह मंगल हैं। वहीं गण राक्षस, योनि व्याघ्र, नाड़ी मध्य है। इसके चरण अक्षरों में पे, पो, रा, री शामिल हैं। इनके प्रथम चरण के स्वामी सूर्य, द्वितीय, बुध, तृतीय शुक्र और चतुर्थ चरण के स्वामी मंगल हैं।
चित्रा नक्षत्र में जन्में जातकों का फलादेश (Predictions of the people born in Chitra Nakshatra)
इस नक्षत्र में जन्म जातकों का शारीरिक गठन अच्छा होता है। ये बुद्धिमान, शांत, अंतर्ज्ञान संपन्न होते हैं। सपने में इन्हें भविष्य में होने वाली घटनाओं ने का पता चल जाता है। इनमें स्वार्थ की प्रवृत्ति नहीं होती है। ये हठी स्वभाव के होते हैं। इन्हें प्रायः विरोध का सामना करना पड़ता है। ये जातक असहायों की मदद करने में तत्पर होते हैं। इस नक्षत्र में जन्म जातकों को पिता से स्नेह और संरक्षण मिलता है। दाम्पत्य जीवन में अक्सर अनबन की स्थिति रहती है।
इन नक्षत्र में जन्मी महिलाएं खूबसूरत, स्वतंत्र रहने वाली, कभी-कभी अनियंत्रित व्यवहार करने वाली होती हैं। इनकी साइंस विषय में रूचि होती हैं।