महालक्ष्मी व्रत 2022 MahaLaxmi Vrat 2022 Date: महालक्ष्मी व्रत को बड़ा ही पावन माना गया है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने वाली सभी दुख-तकलीफें दूर होती हैं और माता लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है। इस व्रत को आश्निन मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन रखा जाता है। इस साल यह व्रत शनिवार 17 सितंबर को रखा जाएगा। साथ ही कन्या संक्राति के रूप में भी मनाया जाएगा।
हिंदू धर्म शास्त्र के अनुसार महालक्ष्मी व्रत का बड़ा महत्व है। इस व्रत को रखने से मां लक्ष्मी सारी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं। इस व्रत की शुरुआत शनिवार 3 सितंबर को हो चुकी है और शनिवार 17 सितंबर को इसका समापन होगा। आइए यहां जानते हैं Mahalaxmi Vrat के शुभ मुहूर्त, पूजा की विधि और कथा के बारे में।
Mahalaxmi Vrat 2022 Shubh Muhurat
पंचांग के अनुसार, महालक्ष्मी व्रत (Mahalaxmi Vrat 2022) आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। शनिवार 17 सितंबर को अष्टमी तिथि की शुरुआत दोपहर 2.33 बजे से होगी और रविवार 18 सितंबर संध्या 4.33 बजे तक रहेगी।
महालक्ष्मी पूजन विधि (Mahalaxmi 2022 pujan vidhi)
सुबह जल्दी उठकर दैनिक क्रिया से निवृत्त होने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद व्रत-पूजा का संकल्प करते हुए पूजा घर में देवी लक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि इस दिन गजलक्ष्मी यानी हाथी पर विराजित देवी लक्ष्मी की पूजा की जानी है। तत्पश्चात दीये जलाएं। फिर मां लक्ष्मी को पुष्प, हार, चंदन, अबीर, गुलाल, दूर्वा, लाल सूत, सुपारी, नारियल आदि चीजें अर्पित करें। पूजा के समय नए सूत 16-16 की संख्या में 16 बार रखें। मां लक्ष्मी की पूजा के साथ ही हाथी की पूजा करें। अंत में मां को भोग अर्पित कर आरती करें। पूजा करने के बाद प्रसाद ग्रहण करें।
महालक्ष्मी व्रत कथा के बारे में जानें
प्राचीन काल में एक ब्राह्मण नियमित रुप से श्री विष्णु का भक्त था। इससे प्रसन्न होकर ब्राह्मण को भगवान श्री विष्णु ने दर्शन दिए और ब्राह्मण से वर मांगने के लिए कहा। ब्राह्मण ने मां लक्ष्मी जी का निवास अपने घर में सदा-सदा के लिए होने की इच्छा जाहिर की। ब्राह्ण की इस इच्छा को सुनकर भगवान विष्णु जी ने लक्ष्मी जी की प्राप्ति का मार्ग ब्राह्मण को बताया।
भगवान ने बताया कि मंदिर के सामने एक स्त्री आती है जो यहां आकर उपले थापती है। तुम उसे अपने घर आने का न्यौदा देना और वह स्त्री ही देवी लक्ष्मी हैं। वह तुम्हारे घर में धन का भंडार भर देगी। इसके बाद ब्राह्मण सुबह से ही मंदिर के सामने बैठ गया। लक्ष्मी जी उपले थापने के लिए आई तो ब्राह्मण ने उनसे अपने घर आने के लिए निवेदन किया। उसकी बातों को सुनकर मां लक्ष्मी जी समझ गई कि यह सब विष्णु जी के कहे अनुसार हुआ है।
तब मां लक्ष्मी जी ने ब्राह्मण से कहा की तुम महालक्ष्मी व्रत करो। 16 दिनों तक व्रत करने और सोलहवें दिन रात्रि को चन्द्रमा को अर्ध्य देना। इससे तुम्हारी मनोकामना पूरी हो जाएगी। इसके बाद ब्राह्मण ने ऐसा ही किया। ब्राह्मण के व्रत से प्रसन्न होकर मां लक्ष्मी ने उसे सुख-समृद्धि का आशीर्वाद दिया।