Meen Lagna Chandra Faladesh
मीन लग्न की कुंडली के प्रथम भाव में चंद्र का फलादेश
मीन लग्न : प्रथम भाव – चंद्र
पहले भाव में मित्र गुरु की राशि पर स्थित चंद्र के प्रभाव से जातक के सौंदर्य, सम्मान, मान-सम्मान में वृद्धि होती है। ऐसा जातक मृदुभाषी, सभी को प्रिय लगने वाला, प्रभावशाली होता है। उसे संतान सुख, विद्या आदि कालाभ मिलता है। सातवीं दृष्टि से सप्तम भाव में देखने से सुंदर स्त्री मिलती है। कारोबार में वृद्धि होती है।
मीन लग्न की कुंडली के द्वितीय भाव में चंद्र का फलादेश
मीन लग्न : द्वितीय भाव – चंद्र
दूसरे भाव में मित्र मंगल की राशि पर स्थित चंद्र के प्रभाव को जातक को धन संपत्ति, पारिवारिक सुख प्राप्त होता है। संतान से दिक्कत होती है। विद्या, बुद्धि का लाभ मिलता है। सातवीं मित्र दृष्टि से आठवें भाव को देखने से आयु में वृद्धि होती है। जीवन मंगलमय होता है।
मीन लग्न की कुंडली के तृतीय भाव में चंद्र का फलादेश
मीन लग्न : तृतीय भाव – चंद्र
तीसरे भाव में सामान्य मित्र शुक्र की राशि पर उच्च चंद्र के प्रभाव से जातक साहसी होता है। पारिवारिक सुख में वृद्धि होती है। विद्या तथा संतान पक्ष का सहयोग मिलता है। सातवीं नीच दृष्टि से नवें भाव को देखने पर किस्मत का साथ कम मिलता है। धर्म में रूकावटें आती है। कई व्यक्ति असहिष्णु हो जाता है। यश में कमी आती है।
मीन लग्न की कुंडली के चतुर्थ भाव में चंद्र का फलादेश
मीन लग्न : चतुर्थ भाव – चंद्र
चौथे भाव में मित्र बुध की राशि पर स्थित चंद्र के प्रभाव से जातक को मातृ सुख भूमि भवन का सुख मिलता है। विद्या तथा संतान पक्ष में उन्नति होती है। सातवीं दृष्टि से दशम भाव को देखने पर बुद्धि बल से कारोबार में उन्नति करता है।
मीन लग्न की कुंडली के पंचम भाव में चंद्र का फलादेश
मीन लग्न : पंचम भाव – चंद्र
पांचवें भाव में स्थित चंद्र के प्रभाव से विद्या, बुद्धि और संतान से लाभ होगा। ऐसा जातक वाकपटुता से भरपूर और मृदुभाषी होता है। साथ ही उसमें गंभीरता और विचार स्थिरता भी होती है। सातवीं शत्रु दृष्टि से ग्यारहवें भाव को देखने से बुद्धि बल द्वारा आय में बढ़ोतरी होती है। लेकिन संतुष्टि नहीं होती है।
मीन लग्न की कुंडली के षष्ठ भाव में चंद्र का फलादेश
मीन लग्न : षष्ठ भाव – चंद्र
छठवें भाव पर स्थित चंद्र के प्रभाव से जातक को शत्रु पक्ष से कष्ट होता है। लेकिन अपनी बुद्धि से वह शत्रुओं पर प्रभाव जमा लेता है। संतान पक्ष से दिक्कतें हो सकती है। विद्या आदि में परेशानी होती है। सातवीं शत्रु दृष्टि से द्वादश भाव को देखने से खर्च ज्यादा होता है। लाभ से संतुष्टि नहीं मिलती।
मीन लग्न की कुंडली के सप्तम भाव में चंद्र का फलादेश
मीन लग्न : सप्तम भाव – चंद्र
सातवें भाव में स्थित चंद्र के प्रभाव से जातक को सुंदर व विद्वान स्त्री मिलती है। कारोबार में कामयाबी, संतान, घर-परिवार का सुख, विद्या प्राप्त होती है। सातवी मित्र दृष्टि से प्रथम भाव की ओर देखने से शारीरिक सौंदर्य, प्रभाव, सम्मान प्राप्त होता है।
मीन लग्न की कुंडली के अष्टम भाव में चंद्र का फलादेश
मीन लग्न : अष्टम भाव – चंद्र
आठवें भाव पर स्थित चंद्र के प्रभाव से जातक की आयुवान होता है। विद्या, संतान पक्ष से कमी रहती है। धन की कमी तथा मन अशांत होता है। सातवीं मित्र दृष्टि से द्वितीय भाव के देखने से धन तथा पारिवारिक सुख की वृद्धि होती है। जीवन सामान्य रहता है।
मीन लग्न की कुंडली के नवम भाव में चंद्र का फलादेश
मीन लग्न : नवम भाव – चंद्र
नवम भाव में स्थित चंद्र के प्रभाव से भाग्य उन्नति में बाधा आती है। संतान और विद्या पक्ष कमजोर रहता है। सातवी उच्च दृष्टि से तृतीय भाव को देखने से परिवार का सुख मिलता है। साहस में वृद्धि होती है।
मीन लग्न की कुंडली के दशम भाव में चंद्र का फलादेश
मीन लग्न : दशम भाव – चंद्र
दसवें भाव पर स्थित चंद्र के प्रभाव से कारोबार में कामयाबी मिलती है। जातक विद्वान, नियम पालन करने वाला, संततिवान होता है। सातवीं मित्र दृष्टि से चतुर्थ भाव को देखने से मातृपक्ष, भूमि, मकान का सुख मिलता है। जातक संपत्तिवान और भाग्यवान होता है।
मीन लग्न की कुंडली के एकादश भाव में चंद्र का फलादेश
मीन लग्न : एकादश भाव – चंद्र
ग्यारहवें भाव में शत्रु शनि की राशि पर चंद्र के प्रभाव से जातक अपनी बुद्धि के जरिए आय में वृद्धि करता है। सातवीं दृष्टि से पंचम भाव को देखने से संतान, विद्या के लिए लगातार प्रयास करता है। कई बार जातक स्वार्थी भी हो जाता है।
मीन लग्न की कुंडली के द्वादश भाव में चंद्र का फलादेश
मीन लग्न : द्वादश भाव – चंद्र
बारहवें भाव पर स्थित चंद्र के प्रभाव से जातक का खर्चीला होता है। कई माध्यमों से लाभ भी प्राप्त करता है। संतान से कष्ट, विद्या में न्यूनता रहती है। सातवी मित्र दृष्टि से षष्ठ भाव को देखने से अपनी बुद्धि से वह शत्रु पर विजय प्राप्त करता है।