Meen Lagna Surya Faladesh: आइए यहां जानते हैं मीन राशि के जातकों की कुंडली में सूर्य के द्वादश भावों का फलादेश, जानें किसे मिलती है कामयाबी, किन्हें करनी पड़ती है बेहद मेहनत
मीन लग्न की कुंडली के प्रथम भाव में सूर्य का फलादेश
मीन लग्न : प्रथम भाव – सूर्य
पहले भाव में मित्र गुरु की राशि पर स्थिति सूर्य के प्रभाव से जातक की शारीरिक शक्ति एवं प्रभाव में वृद्धि होती है, लेकिन रक्त संबंधी व अन्य रोग होने की संभावना रहती है। विरोधी पक्ष परविजय पाने तथा अपना मान-सम्मान बढ़ाने के लिए उसे काफी भागदौड़ करनी पड़ती है। सातवी दृष्टि से सप्तम भाव को देखने से कुछ कठिनाइयों के बाद स्त्री सुख मिलता है। रोजाना की आमदनी के लिए काफी मेहनत करना पड़ता है।
मीन लग्न की कुंडली के द्वितीय भाव में सूर्य का फलादेश
मीन लग्न : द्वितीय भाव – सूर्य
दूसरे भाव में मंगल की राशइ पर उच्च के सूर्य के प्रभाव और धन संपत्ति में वृद्धि होती है तथा परिवारिक सुख भी मिलता है। सातवीं नीच तथा शत्रु दृष्टि से अष्टम भावको देखने से आयु तथा संबंधी पक्ष में कुछ कमी आती है। आए दिन किसी न किसी दिक्कत से जूझना पड़ता है।
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मीन लग्न की कुंडली के तृतीया भाव में सूर्य का फलादेश
मीन लग्न : तृतीय भाव – सूर्य
तीसरे भाव में शत्रु शुक्र की राशि पर स्थित सूर्य के प्रभाव से जातक के साहस में काफी बढ़ोतरी होती है, हालांकि भाई बंधु से तनाव, विवाद बना रहता है। शत्रु पक्ष पर जीत हासिल होती है। सातवीं मित्र दृष्टि से नवम भाव को देखने से मेहनत द्वारा किस्मत खुलती है।
मीन लग्न की कुंडली के चतुर्थ भाव में सूर्य का फलादेश
मीन लग्न : चतुर्थी भाव – सूर्य
चौथे भाव में मित्र बुध की राशि पर स्थित सूर्य केप्रभाव से सुखतथा प्रभाव में काफी बढ़ोतरी होती है। मातृ पक्ष, भूमि तथा मकान के सुख में कुछ कमी और दिक्कत बनी रहती है। सातवीं मित्र दृष्टि से दशम भाव को देखने पर व्यवसाय के क्षेत्र में सहयोग यश, प्रतिष्ठा एवं प्रभाव में काफी बढ़ोतरी होती है।
मीन लग्न की कुंडली के पंचम भाव में सूर्य का फलादेश
मीन लग्न : पंचम भाव – सूर्य
पांचवे भाव में मित्र चंद्र की राशि पर स्थित सूर्य के प्रभाव से जातक को संतान की ओर से परेशानी का सामना करना पड़ताहै। हालांकि इन दिक्कतों के साथ विद्या, बुद्धि, वाणी शक्ति बढ़ती है। सातवीं शत्रु दृष्टि से एकादश भाव को देखने से लाभ के मार्ग में कुछ परेशानी आती है, लेकिन मेहनत के द्वारा कामयाबी प्राप्त होती है।
मीन लग्न की कुंडली के षष्ठ भाव में सूर्य का फलादेश
मीन लग्न : षष्ठ भाव – सूर्य
छठवें भाव में स्थित सूर्य के प्रभाव से जातक शत्रुओं पर जीत हासिल करता है। विवादों से लाभ उठाने की प्रवृत्ति होती है। ऐसा जातक मेहनती, परिश्रम और धैर्य धारण करने वाला होता है। सातवीं शत्रु दृष्टि होने से द्वादश भाव को देखने से खर्च ज्यादा होता है। धन ज्यादा खर्च होने के कारण मानसिक रूप से अशांत रहता है।
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मीन लग्न की कुंडली के सप्तम भाव में सूर्य का फलादेश
मीन लग्न : सप्तम भाव – सूर्य
सातवें भाव में मित्र बुध की राशि पर स्थित सूर्य के प्रभाव से जातक का महिला वर्ग से कुछ विवाद, बैर रहता है। व्यवसाय में काफी भागदौड़ करनी पड़ती है, इसके बाद ही कामयाबी मिलती है। सातवीं दृष्टि मित्र दृष्टि होने और प्रथम भाव को देखने से जातक के प्रभाव और मान-सम्मान में वृद्धि होती है। हालांकि शरीर से जुड़ी दिक्कत हो सकती है।
मीन लग्न की कुंडली के अष्टम भाव में सूर्य का फलादेश
मीन लग्न : अष्टम भाव – सूर्य
आठवें भाव में शत्रु शुक्र की राशि पर स्थित नीच के सूर्य के प्रभाव से जातक को कई प्रकार के संकट, परेशानियों का सामना करना पड़ता है। संबंधों में दूरियां आती है। शत्रु पक्ष से दुख मिलता है। पेट संबंधी रोग हो सकते हैं। सातवीं मित्र तथा उच्च दृष्टि से दूसरे भावको देखने पर धन और पारिवारिक सुख के लिए मेहनत करना पड़ता है।
मीन लग्न की कुंडली के नवम भाव में सूर्य का फलादेश
मीन लग्न : नवम भाव – सूर्य
नवम भाव में मित्र मंगल की राशि पर स्थित सूर्य के प्रभाव से जातक को किस्मत का साथ मिलता है। शत्रु पक्ष पर विजय मिलती है। सातवीं शत्रु दृष्टि से तृतीय भाव में देखने से भाई-बंधुओं के बीच विरोध पनपता है। हालांकि कठिनाइयों के साथ पराक्रम और साहस में वृद्धि होती है।
मीन लग्न की कुंडली के दशम भाव में सूर्य का फलादेश
मीन लग्न : दशम भाव – सूर्य
दसवें भाव में मित्र गुरु की राशि पर स्थित सूर्य के प्रभाव से जातक का अपने पिता से कुछ विरोध रहता है। वहीं प्रभाव और मान सम्मान में बढ़ोतरी होती है। कारोबार में दिक्कतें आती है। शत्रु पक्ष पर जीत हासिल होती है। सातवीं मित्र दृष्टि से चतुर्थ भाव को देखने पर कुछ समस्या के साथ मातृ पक्ष, भूमि, भवन का सुख मिलता है।
मीन लग्न की कुंडली के एकादश भाव में सूर्य का फलादेश
मीन लग्न : एकादश भाव – सूर्य
एकादश भाव में सूर्य के प्रभाव से जातक कठिन परिश्रम द्वारा खूब आय अर्जित करता है। शत्रु पक्ष पर विजय मिलती है। सातवी मित्र दृष्टि से पांचवे भाव को देखने कठिनाई आती है। विद्या, बुदधि, संतान सुख मिलता है।
मीन लग्न की कुंडली के द्वादश भाव में सूर्य का फलादेश
मीन लग्न : षष्ठ भाव – सूर्य
बारहवें भाव में शत्रु शनि की राशि पर स्थित सूर्य के प्रभाव से जातक को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। खर्च संबंधी दिक्कतें आती है। शत्रु पक्ष भी समस्याएं खड़ी करता है। सातवीं दृष्टि से स्वराशि में छठवें भाव को देखने पर शत्रुओं पर विजय मिलती है। जातक में अहंकार और क्रोध अधिक होता है।
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