Thursday, March 23, 2023
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Nag Panchami 2022 Date: 2 घंटे 36 मिनट तक रहेगी नागपंचमी की पूजा अवधि, जानें 10 देवनागों के नाम

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Nag Panchami 2022 Kab Hai नागपंचमी 2022 कब है : हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी (Nag Panchami 2022) का त्योहार मनाए जाने का विधान है। इस त्यौहार से दो दिन पूर्व हरियाली तीज मनाया जाता है। नागपंचमी के दिन नागदेव की पूजा अर्चना की जाती है। दूध का भोग लगाया जाता है। इस साल यानी 2022 में नागपंचमी का पर्व 2 अगस्त को मनाया जाएगा। इस दिन बच्चों से भी नागदेव की तस्वीर बनाकर पूजा कराई जाती है। श्रावण मास की पंचमी तिथि का विशेष महत्व माना गया है। आइये जानते हैं इस साल नाग पंचमी का शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजन विधि के बारे में..

नाग पंचमी 2022 का शुभ मुहूर्त (Nag Panchami 2022 Shubh Muhurat)

नाग पंचमी (Nagpanchami) तिथि – मंगलवार, 2 अगस्त 2022

पंचमी तिथि प्रारंभ – 2 अगस्त 2022 को सुबह 05.13 बजे से

पंचमी तिथि समापन – 3 अगस्त 2022 को सुबह 05.41 बजे तक

नागपंचमी का पूजन मूहूर्त – सुबह 06.05 बजे से 08.41 बजे तक

अवधि- 02.36 घंटे

क्यों करते हैं नागों की पूजा

हिंदू धर्म में नाग यानी सर्पों को पूजनीय माना गया है। इनकी पूजा नागपंचमी (Nag Panchami 2022 Kab Hai) के मौके पर की जाती है। दुग्ध से स्नान कराने के बाद नागों की पूजा की जाती है। साथ ही भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है। माना जाता है कि नागों की पूजा से कालसर्प दोष का निवारण होता है। राहु-केतु का अशुभ प्रभाव क्षीण होता है। कहा जाता है कि नाग का चित्र घर के मुख्य द्वार पर बनाया जाए तो व्यक्ति को सुख  समृद्धि की प्राप्ति होती है। दुख दूर होते हैं

नागपंचमी पूजन विधि (Pooja Vidhi)

देवनागों को नाम – शास्त्रों के अनुसार  नाग पंचमी (Nag Panchami 2022) के दिन अनन्त, वासुकि, पद्म, महापद्म, तक्षक, कुलीर, कर्कट, शंख, कालिया और पिंगल नामक देव नागों की पूजा (Pooja) करने का विधान है।

पूजा विधि – त्यौहार के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। स्वच्छ वस्त्र धारण कर पूजन स्थल को गंगाजल से पवित्र करें। भगवान श्रीगणेश, अपने ईष्टदेव, भगवान शिव-पार्वती की पूजा करें। इसके बाद नागदेव के चित्र पर हल्दी, रोली, चावल और फूल चढ़ाएं। कच्चे दूध में घी और चीनी मिलाकर नाग देवता को चढ़ाएं। आरती उतारें। साथ ही नागपंचमी की कथा का श्रवण करें। नाग पंचमी की कथा अवश्य सुनें। आरती करें और मन में नाग देवता का ध्यान करें।

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