नक्षत्र चर्चा: यहां हम बेहद ही महत्वपूर्ण नक्षत्र अभिजित का विवेचन करने के साथ ही श्रवण और धनिष्ठा नक्षत्र पर चर्चा करेंगे। पंचांग में अभिजित मुहूर्त को बेहद शुभ माना जाता है। वहीं श्रवण और धनिष्ठ नक्षत्र (Shravan and Dhanishtha Nakshatras) में जातकों का व्यवहार, स्वभाव, वैवाहिक जीवन कैसा होता है, इस पर चर्चा करने के साथ ही यहां हम इन नक्षत्रों में जन्में जातकों के फलादेश के बारे में जानेंगे।
अभिजित नक्षत्र (Abhijit Nakshatra)
इस नक्षत्र का राशि चक्र में 276.40 अंश से 280.13 अंश के बीच की स्थिति मानी गई है। इस नक्षत्र के देवता ब्रह्मा माने गए हैं। इस में 3 तारे की स्थिति है, जो एक त्रिकोण बनाते हैं। अभिजित नक्षत्र के बारे में कहा जाता है कि विंशोत्तरी दशा पद्धति में इसका उल्लेख नहीं है और दक्षिण में अष्टोत्तरी महादशा पद्धति का प्रचलित है, जिसमें अभिजित नक्षत्र को मान्यता है।
अभिजित नक्षत्र में जन्में जातकों का फलादेश (Horoscope of the people born in Abhijit Nakshatra)
इस नक्षत्र में जन्में लोग कद काठी से मध्यम होते हैं। उनका व्यवहार मधुर व विशेष क्षेत्र में उपलब्धि हासिल करने वाले होते हैं। इनकी रूचि रहस्यमयी विद्याओं और धर्म-कर्म के प्रति अधिक होती है। ये स्वाध्यायी होते हैं। समाज में इनका बेहद सम्मान होता है। आदर की दृष्टि से देखे जाते हैं।
इस नक्षत्र मे जन्मीं महिलाएं बेहद सुशील, व्यवहार कुशल और हर परिस्थिति का सामना करने में निपुण होती हैं। ये परिश्रम धन अर्जित करती हैं। इनका वैवाहिक जीवन सुखी रहता है।
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अभिजित नक्षत्र में सूर्य आयु प्रदान करता है। चंद्र मन को प्रभावित करता है। वहीं मंगल के प्रभाव से जातक की सेना के प्रति रूचि होती है। बुध से मिले जुले फल मिलते हैं। गुरु का प्रभाव जातक को उच्च पद पर प्रतिष्ठित करता है। शुक्र के प्रभाव से लव मैरिज की स्थिति बनती है। वहीं शनि का प्रभाव अशुभ होता है। राहु के कारण विपत्तियां आती है। राहु के प्रभाव से जातक दूसरों को भी परेशान करता है। केतु के प्रभाव से जातक उच्च पद पर प्रतिष्ठित होता है। कारोबार में भी सफलता मिलती है।
इस नक्षत्र की स्थिति मध्याह्न काल के 1 घंटे पहले और 1 घंटे बाद की मानी जाती है। मुहूर्त शास्त्र में अभिजित का सर्वाधिक महत्व है। तिथि, वार, नक्षत्र, योग आदि अशुभ हो तब भी अभिजित मुहूर्त में यात्रा (दक्षिण दिशा को छोड़कर) का शुभ फल प्राप्त होता है।
नक्षत्र चर्चा :
श्रवण नक्षत्र (Shravan Nakshatra)
राशि चक्र में श्रवण नक्षत्र की स्थिति 280 अंश से 293.20 अंश के बीच की है। इसे श्रोणा, विष्णु, हरि, श्रुति के नाम से भी जाना जाता है। इस नक्षत्र में तीन तारे हैं ये वामन की तरह दिखते हैं। विष्णु को इस नक्षत्र का देवता माना गया है। वहीं चंद्र इस नक्षत्र का स्वामी है। इसके गण देव, योनि वानर और नाड़ी अंत है। इसके चरण अक्षरों में खि, खू, खे, खो शामिल हैं। यह नक्षत्र मकर राशि के अंतर्गत आता है। इन चरणों के स्वामी क्रमशः मंगल, शुक्र, बुध और चंद्र हैं।
श्रवण नक्षत्र मे जन्म जातकों का फलादेश (Horoscope of the people born in Shravan Nakshatra)
इस नक्षत्र में जन्में ज तकों का व्यक्तित्व प्रभावशाली होता है। वे मृदुभाषी, सिद्धांतवादी और रहमदिल होते हैं। इसके अलावा ऐसे जातक सत्यवादी, प्रभु की आराधना में लीन रहने वाले और दूसरों की मन की बात जान लेने वाले होते हैं। ये एक साथ कई काम कर सकते। ये जातक अच्छे प्रशासनिक अधिकारी सिद्ध होते हैं। ये किसी का प्रतिरोध कम ही करते हैं। इनका वैवाहिक जीवन सुखी होता है। इनकी पत्नी सुशील, सुंदर और आज्ञा का पालन करने वाली होती हैं।
श्रवण नक्षत्र में जन्मीं महिलाएं सुंदर, प्रदर्शनप्रिय और अधिक बात करने वाली होती हैं। दाम्पत्य जीवन सुखी होता है। ये हर कार्य को अच्छे से करना जानती हैं। अपने पति के साथ इनकी अनबन होती रहती है। इन्हें चर्म रोग हो सकता है।
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नक्षत्र चर्चा:
धनिष्ठा नक्षत्र (Dhanishtha Nakshatra)
धनिष्ठा नक्षत्र का राशि चक्र में 293.20 अंश से 306.40 अंशके बीच की स्थिति मानी जाती है। इसे अविहा और वसु के नाम से भी जाना जाता है। धनिष्ठा धन की अधिकता का भी सूचक होता है। इसके देवता वसु हैं। वसुओं की संख्या आठ होती हैं जो धरा, ध्रुव, सोम, अहा, अनिल, अनलोर, प्रत्यूष एवं प्रवष होते हैं। धनिष्ठा का स्वामी ग्रह मंगल है। इसकी कहीं-कहीं आठ तो कहीं-कहीं चार तारों की स्थिति मानी जाती है। इसकी आकृति मृदंग के समान मानी जाती है। इसके गण राक्षस, योनि सिंह, नाड़ी मध्य है। इसके चरण अक्षर ग, गी, गू, गे हैं। इसके प्रथम चरण के स्वामी सूर्य, द्वितीय बुध, तृतीय शुक्र, चतुर्थ चरण के स्वामी मंगल हैं।
धनिष्ठा नक्षत्र में जन्में जातकों का फलादेश (Horoscope of the people born in Dhanishta Nakshatra)
इस नक्षत्र में जन्में लोग बेहद बुद्धिमान, कई प्रकार के विषयों के ज्ञाता, मन-वचन-कर्म से किसी को भी ठेस नहीं पहुंचाने वाले और धर्म-कर्म में रहने वाले होते हैं। ये अपने सामर्थ्य में जीवन में उन्नति करते हैं। गलत होने पर उसका विरोध भी करते हैं। इनकी रूचि विज्ञान, इतिहास आदि विषयों में होती है। दाम्पत्य जीवन सुखद होने के साथ ही पत्नी इनके लिए भाग्यवान साबित होती हैं। ये सेहत के प्रति सचेत नहीं रहते हैं। इसके चलते ये कमजोर भी हो जाते हैं। इन्हें खांसी, सर्दी, खून की कमी की शिकायत हो सकती है।
धनिष्ठा नक्षत्र में जन्मीं महिलाएं खूबसूरत सदैव युवा दिखाई देने वाली होती हैं। इनके स्वभाव में आकर्षण होता है। इसके अलावा ये दयावान, दूसरों की मदद करने वाली होने के साथ ही खर्चीली होती हैं।
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