नक्षत्र चर्चा : ज्योतिष फलादेश में नक्षत्रों का महत्वपूर्ण स्थान है। किसी भी जातक के जीवन में होने वाले उतार चढ़ाव की स्थिति को अधिक सूक्ष्म रूप से जांचने व परखने के लिए नक्षत्र की स्थिति पर विचार किया जाता है। हम जानते हैं कि ज्योतिष में नक्षत्रों की स्थिति 27 मानी गई है। जिसमें अश्विनी से लेकर रेवती तक 27 नक्षत्र हैं। यहां प्रथम तीन नक्षत्र अश्विनी, भरणी और कृत्तिका का ज्योतिषीय विवेचन करेंगे –
अश्विनी नक्षत्र (Ashwini Nakshatra)
नक्षत्रों के अध्ययन के अंतर्गत हम यहां प्रथम नक्षत्र “अश्विनी” का विवेचन करेंगे। भारतीय ज्योतिष में अश्विनी को तुरंग, दस एवं हृय भी कहा जाता है। यूनानी या ग्रीक भाषा में इस नक्षत्र को कैस्टर पोलक्स, अरबी में अश शरातन और चीनी भाषा में लियू के नाम से पुकारा जाता है। भारत के ज्योतिष मनीषियों ने 3 तारों से मिलकर अश्विनी नक्षत्र की रचना होना बताया है। राशियों में अश्विनी नक्षत्र की स्थिति 0 अंश से 13.20 अंश माना गया है।
अश्विनी नक्षत्र की आकृति (Shape of Ashwini Nakshatra)
अश्वनी नक्षत्र की आकृति की कल्पना घोड़े या अश्व के समान की गई है। कालांतर में इस नक्षत्र का संबंध देवताओं के वैद्य अश्विनीकुमारों से भी किया गया।
अश्विनी नक्षत्र का ज्योतिषीय विवेचन (Astrological Interpretation of Ashwini Nakshatra)
अश्विनी नक्षत्र के देवता अश्विनी कुमार और स्वामी ग्रह केतु को माना गया है। इसके गण-देव, योनि-अश्व और नाड़ी-आदि हैं। इस नक्षत्र के चरण अक्षरों में – चू, चे, चो, ला शामिल हैं। इन चरणों के स्वामी मंगल, शुक्र, बुध और चंद्र माने गए हैं। यह प्रथम मेष राशि का प्रथम नक्षत्र हैं।
अश्विनी नक्षत्र में जन्म जातकों का फलादेश (Horoscope of the people born in Ashwini Nakshatra)
अश्वनी नक्षत्र को पूरे मेष राशि का प्रतिनिधित्व करने वाला माना जाता है। जैसा कि सभी जानते हैं मेष राशि का स्वामित्व मंगल ग्रह को दिया गया है। अश्विनी नक्षत्र में जन्म लेने वाला जातक बुद्धिशाली, धनी, विनम्र, यशस्वी और सुख-समृद्धि से भरपूर होता है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक खूबसूरत, चौड़ा ललाट, नासिका कुछ बड़ी तथा नयन सुंदर होते हैं। ये जातक शांत और संयमी होते हैं। ये जातक किसी भी कार्य या निर्णय लेने में अधीरता नहीं दिखाते हैं। किसी कार्य के अच्छे और बुरे पक्ष को जानते समझते हैं, इसके बाद ही निर्णय करते हैं। एक बार फैसला लेने के बाद वे इससे पीछे नहीं हटते हैं। कई बार उनकी इस प्रवृत्ति को जिद मान लिया जाता है।
अश्वनी नक्षत्र में जन्म जातक अच्छे मित्र साबित होते हैं। जिससे प्यार करते हैं उसके लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने के लिए तैयार रहते हैं। किसी को परेशानी देख उसकी मदद करते हैं। बड़े से बड़े संकट के दौरान वे धैर्य रखते हैं। क्रोध आने पर इन्हें रोक पाना बेहद कठिन होता है। कई मौकों पर छोटी सी बातों को भी बड़ा बना देते हैं। परंपरा का पालन करने के साथ ही आधुनिकता का विरोध नहीं करते हैं। सफाई पसंद होने के साथ अपने काम को सलीके से करने की इनकी आदत होती है।
इस नक्षत्र में जन्म जातकों को शिक्षा के क्षेत्र में कामयाबी मिलती है। ये चिकित्सा, सिक्योरिटी, इंजीनियरिंग जैसे विषयों को अपना सकते हैं। इस राशि के जातकों को 30 साल की उम्र तक बेहद संघर्ष करना पड़ता है। ये जातक अपने परिजनों से बेहद प्रेम करते हैं। शादीशुदा जीवन सुखद रहता है।
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नक्षत्र चर्चा
भरणी नक्षत्र (Bharani Nakshatra)
भरणी द्वितीय नक्षत्र हैं। इस नक्षत्र का आधिपत्य क्षेत्र 13.30 अंश से 26.40 अंश तक माना गया है। भरणी में 3 तारे माने गए हैं जो एक त्रिकोण की आकृति की रचना करते हैं। भरणी का देवता यम को मना गया है। भरणी का स्वामी ग्रह शुक्र है। भरणी की प्रवृत्ति राजसी मानी गई है।
भरणी नक्षत्र के गण-मनुष्य, योनि-गज एवं नाड़ी-मध्य है। इस नक्षत्र के चरण अक्षर ली, लू, ले लो है। इन चरणों के स्वामी सूर्य, बुध, शुक्र, मंगल माने गए हैं।
भरणी नक्षत्र में जन्म जातकों का फलादेश (Horoscope of the people born in Bharani Nakshatra)
इस नक्षत्र में जन्म जातक मध्यम कद के होते हैं। उनकी आंखे, दांत सुंदर होते हैं। मस्तक चौड़ा होता है। ये जातक स्वभाव से उदार हृदय, किसी का अहित नहीं करने वाले, कुटिल प्रवृत्तियों से दूर रहने वाले, स्पष्ट वक्ता होते हैं। कई मौकों पर इन जातकों की सीधी-सीधी बात औरों को बुरी लग सकती है। लेकिन ये किसी की परवाह नहीं करते हैं।
ये जातक किसी के सामने झुकने को तैयार नहीं होते हैं। भले ही संबंध बिगड़ जाए। ये जातक प्रायः विवादों से दूर रहना पसंद करते हैं। यदि जन्म के समय भरणी की स्थिति अशुभ रहती है तो व्यक्ति किसी से धोखेबाजी भी कर सकता है। भरणी नक्षत्र का स्वामी ग्रह शुक्र है। इस ग्रह के प्रभाव से जातक सुंदरता प्रिय, कला, संगीत आदि में रूचि रखता है। कई बार चित्रकारी की ओर भी रूझान होता है। महिलाओं के लिए यह नक्षत्र बेहद ही शुभ माना जाता है। शुक्र ग्रह के प्रभाव से उनका व्यक्तित्व आकर्षक होता है। वे निर्भीक होती हैं। अपनी इच्छा के अनुसार काम करती हैं। साथ ही अपने परिजनों का आदर बखूबी करती हैं। जीविका के लिए वे किसी पर निर्भर नहीं रहती हैं। इसके चलते कई बार परिवार के लोगों से विरोध भी होता है।
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नक्षत्र चर्चा :
कृत्तिका नक्षत्र (Krutika Nakshatra)
इस नक्षत्र को राशि में 26.40 अंश से 40.0 अंश का आधिपत्य प्राप्त है। इसमें छह तारे माने जाते हैं। कृतिका को हुताशन, अग्नि, बहुला के नाम से भी जाना जाता है। इस नक्षत्र के देवता अग्नि और स्वामी गुरु सूर्य हैं। कृत्तिका का प्रथम चरण मेष राशि में आता है। इस चरण का स्वामी मंगल को माना गया है। वहीं अन्य तीन चरण वृष राशि में आती है। इस नक्षत्र का गण-राक्षस, योनि-मेष एवं नाड़ी अंत है।
कृत्तिका नक्षत्र के चरण अक्षरों में अ, इ, उ, ए माने गए हैं। इन चरणों के स्वामी प्रथम एवं चतुर्थ चरण के स्वामी गुरु, द्वितीय और तृतीय चरण के स्वामी शनि हैं।
कृत्तिका नक्षत्र में जन्में जातकों का फलादेश (Predictions of the people born in Krutika Nakshatra)
इस नक्षत्र में जन्म जातक कद काठी से मध्यम होते हैं। उनके कंधे चौड़े, गठीले होते हैं। ये जातक बेहद बुद्धिशाली, सलाहकार, मेहनती और हठी स्वभाव के होते हैं। अपनी बात पर अडिग रहने वाले और समाज के प्रति समर्पित होते हैं। इस नक्षत्र में जन्मे जातक गलत रास्तों पर चलकर यश अर्जित नहीं करना चाहते। इनमें अहंकार ज्यादा होता है। इसके चलते इन्हें अपने किसी काम में गलती नहीं दिखती है। कई बार अधिक निष्ठा और ईमानदारी से इन्हें हानि भी होती है।
इन जातकों की शिक्षा चिकित्सका, इंजीनियरिंग या वित्तीय विभाग में होता है। ये कारोबार में भी रूचि लेते हैं। इन जातकों का दाम्पत्य जीवन काफी सुखी रहता है। इनकी स्त्री सुशील, अपने कार्य में दक्ष, मृदुभाषी, प्रेम करने वाली होती है। कई बार ये प्रेम विवाह भी करते हैं। इन जातकों की सेहत ठीक रहती हैं। लेकिन कई बार दंत रोग, आंखों की बीमारी, बवासीर आदि से पीड़ित होना पड़ सकता है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाली महिलाएं खूबसूरत और साफ-सफाई रखने वाली होत हैं। वह किसी के सामने झुकने वाली नहीं होती है। इन्हें गीत-संगीत से प्रेम होता है। अधिक पढ़ी लिखी, अफसर, डाक्टर या उच्च पद पर होती हैं।
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