नक्षत्र चर्चा : इस चर्चा अंतर्गत हम यहां तीन नक्षत्रों रोहिणी, मृगशिरा और आर्द्रा का विवेचन करेंगे। रोहिणी नक्षत्र को जहां भगवान बलराम की माता के अलावा चंद्र की पत्नी और ऋषि कश्यप की पुत्री माना गया है। वहीं मृगशिरा नक्षत्र की आकृति हिरण के समान मानी गई है। वहीं आर्द्रा नक्षत्र को मणि के आकार का माना गया है। यहां हम जानेंगे कि इन नक्षत्रों में जन्म लेने वाले जातक जातिकाओं का स्वभाव,व्यवहार कैसा होता है, इनका जीवन किस तरह व्यतीत होता है।
रोहिणी नक्षत्र (Rohini Nakshatra)
राशि चक्र में रोहिणी नक्षत्र को 40 अंश से 53.20 अंश के बीच स्थित माना गया है। रोहिणी को विधि, विरंची, शंकर आदि नाम से भी जाना जाता है। इसके अलावा पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम की मां का नाम रोहिणी था। इसके अलावा रोहिणी को ऋषि कश्यप की पुत्री तथा चंद्र की पत्नी माना गया है।
रोहिणी नक्षत्र की आकृति (Shape of Rohini Constellation)
रोहिणी की आकृति रथ चक्र के अनुसार ज्योतिष शास्त्र में बताई जाती है। रोहिणी नक्षत्र में कितने तारे हैं इस पर मतभेद है, लेकिन साधारणतया इसमें पांच तारे स्थित माने जाते हैं। यह नक्षत्र वृष राशि (स्वामी-शुक्र) में आता है। रोहिणी के देवता ब्रह्मा और स्वामी – चंद्र हैं। वहीं गण-मनुष्य, योनि-सर्प और नाड़ी अंत्या मानी गई है। इसके चरण अक्षरों में ओ, वा, वी, वू हैं। रोहिणी नक्षत्र के प्रथम चरण का स्वामी मंगल, द्वितीय का शुक्र, तृतीय का बुध और चतुर्थ चरण का स्वामी चंद्र होता है।
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रोहिणी नक्षत्र का फलादेश (Horoscope of Rohini Nakshatra)
रोहिणी नक्षत्र में जन्म जातकों का शरीर आकर्षक, सुंदर नेत्र और सभी को आकर्षित करने वाले होते हैं। वे बेहद भावुक होते हैं। इन्हें जल्दी क्रोध आ जाता हैं। ये हठी भी होते हैं। इनके हठ के चलते लोगों को दिक्कत भी होती है। ये किसी भी पर भी जल्दी से विश्वास कर लेते हैं। कई मौकों पर इनके साथ धोखेबाजी भी होती है।
इन जातकों को भविष्य की चिंता नहीं होती हैं। ये जातक वर्तमान में ही जीने वाले होते हैं। अपने सभी कार्यों को पूरी ईमानदारी के साथ पूरा करते हैं। कई बार धैर्य खोकर अपने कार्य से भटक जाते हैं। ये एक के संतुष्ट करने के बजाए कई लोगों को खुश करने की कोशिश करते हैं।
रोहिणी नक्षत्र में जन्म जातकों को युवावस्था में काफी संघर्ष करना पड़ता है। आर्थिक और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से ये जातक पीड़ित रहते हैं। इनके जीवन में 35 वर्ष की आयु के बाद स्थिरता आती है। इन जातकों का माता के प्रति विशेष झुकाव होता है। पिता से कोई खास लाभ प्राप्त नहीं होता है। कई बार ये रीति रिवाजों का उल्लंघन भी करते हैं। दाम्पत्य जीवन ज्यादा सुखमय नहीं होता है। इन्हें रक्त संबंधी रोग ग्रसित करते हैं।
इस नक्षत्र में जन्मी महिलाएं खूबसूरत होती हैं। उनका व्यवहार बेहद विनम्र होता है। हालांकि कई बार ये जातिकाएं जरा सी बात पर तुनक जाती हैं। ये व्यवहार कुशल होती हैं। हर कार्य को करने में दक्ष होने के साथ ही उनका पारिवारिक जीवन सुखमय होता है। सेहत ठीक रहती है।
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मृगशिरा नक्षत्र (Mrigashira Nakshatra)
राशि चक्र में इस राशि की स्थिति 53.20 अंश से 66.40 अंश के बीच मानी गई है। इसे सौम्य, चंद्र, अग्रहायणी, उडुप आदि नामों से भी जाना जाता है। इस नक्षत्र का देवता चंद्र को और स्वामी ग्रह मंगल को माना गया है।
मृगशिरा नक्षत्र की आकृति (Shape of Mrigashira Constellation)
इस नक्षत्र में तीन तारे की स्थिति मानी गई है। इसका सिर मृग यानी हिरण के आकार की कल्पना की गई है। पौराणिक कथाओं के अनुसार जब ब्रम्हा हिरण का रूप लेकर अपनी बेटी रोहिणी का पीछा कर रहे थे तब इस कृत्य के चलते उनका सिर काट दिया गया। इस कटे हुए सिर को मृगशिरा नक्षत्र के रूप में माना गया है। इस नक्षत्र के दो चरण वृष राशि और शेष दो चरण मिथुन राशि के अंतर्गत आते हैं। जिसमें वृष राशि का स्वामी शुक्र और मिथुन राशि का बुध है। गण-देव, योनि-सर्प और नाड़ी मध्य है। इसके चरण अक्षरों में बे, बो, क, की हैं। मृगशिरा के प्रथम चरण के स्वामी सूर्य, द्वितीय चरण के बुध, तृतीय चरण के शुक्र और चौथे चरण के स्वामी मंगल हैं।
मृगशिरा नक्षत्र का फलादेश (Horoscope of Mrigashira Nakshatra)
इस नक्षत्र में जन्म जातक बलवान, आकर्षक, इनकी कद काठी लंबी होती है। ये सहज, सरल और नियमों के पक्के होते हैं। सोच समझकर अपनी राय व्यक्त करते हैं। इस बेहतर शिक्षित, अधिकांश कार्यों को पूरा करने में सक्षम होते हैं। इनमें एक कमी पाई जाती है कि वे किसी पर भरोसा नहीं करते हैं। इसके चलते लोग इनकी मदद करने में झिझकते हैं। इन जातकों का दाम्पत्य जीवन सुखमय रहता है। इन जीवनसाथी हमेशा रोगग्रस्त होती हैं। कई बार इनके हठ से रिश्ते अल्प समय के लिए तनावग्रस्त हो जाते हैं। इन्हें कब्ज, उदर रोग हो सकते हैं।
इस नक्षत्र में जन्मी महिलाएं खूबसूरत, तीखे नैन नक्श वाली होती हैं। यह बेहद बुद्धिशाली, और हर बात का उत्तर देने वाली होती हैं। ये किसी पर व्यंग्य भी कसती हैं। इनकी शिक्षा दीक्षा बेहतर होती है। इनमें सेवा की भावना पाई जाती है। दाम्पत्य जीवन सुखी रहता है। अपने जीवनसाथी के प्रति समर्पित रहती हैं।
आर्द्रा नक्षत्र (Ardra Nakshatra)
राशि चक्र में आर्द्रा नक्षत्र की स्थिति 66.40 अंश से 80 अंश के बीच मानी जाती है। इस नक्षत्र में केवल एक तारा माना गया है। इसकी आकृति मणि के आकार की कही जाती है। इस नक्षत्र के देवता रूद्र और स्वामी ग्रह राहु हैं। नाड़ी-आद्या, योनि-श्वान, गण-मनुष्य हैं वहीं इसके चरण अक्षरों में कू, घ, ड, छ हैं। इन नक्षत्र के प्रथम चरण के स्वामी गुरु, द्वितीय चरण के शनि, तृतीय चरण के शनि और चतुर्थ चरण के गुरु हैं।
आर्द्रा नक्षत्र के फलादेश (Horoscope of Ardra Nakshatra)
आर्द्रा नक्षत्र में जन्में जातक अपने कर्तव्यपथ पर अडिग रहने वाले होते हैं। वे बेहद मेहनती और मिली जिम्मेदारी को पूरे मन से निभाने वाले होते हैं। ये जातक मजाकिया प्रवृत्ति के होते हैं। ये अलग-अलग माध्यम से ज्ञान अर्चन करते हैं। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक प्रायः अपनी जन्मस्थली से दूर ही जीवन व्यतीत करते हैं। ये ज्यादातर विषयों की जानकारी रखते हैं। इन्हें अक्सर कामयाबी मिलती है। ये जातक हंसी मजाक करने वाले होते हैं, लेकिन अपनी दिक्कतों को सभी से छिपाते हैं। इन जातकों का विवाह यदि जल्द हो तो ये सुखी नहीं रहते, बल्कि विलंब से विवाह होने पर सुख प्राप्त करते हैं।
इस नक्षत्र में जन्म लेने वाली महिलाएं सुंदर होती हैं। इनका स्वभाव शांत होता है। ये अन्य लोगों की मदद करने में तत्पर रहती हैं। इनमें अनावश्यक खर्च करने की प्रवृत्ति होती है। इनका विवाह प्रायः देरी से होता है। दाम्पत्य सुख से वंचित रहती हैं।