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बेड़ियों में जकड़े तहव्वुर राणा की तस्वीर सामने आई, अमेरिका ने कड़ी सुरक्षा के बीच भारत को सौंपा

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Tahawwur Rana Extradition: मुंबई हमलों का मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा (Tahawwur Rana) अंततः अमेरिका से भारत लाया जा चुका है, इस बीच तहव्वुर की तस्वीर सभी का ध्यान खींच रही है।

दरअसल प्रत्यर्पण की तस्वीर में तहव्वुर राणा के पैरों में बेड़ियां, कमर में जंजीर बंधी हुई दिखाई दे रही है। वहीं अमेरिकी मार्शल प्रत्यर्पण की प्रक्रिया को पूरी करते नजर आ रहे हैं, इस दौरान  राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) के अधिकारी भी वहां उपस्थित हैं। अमेरिका (US) ने बुधवार को कड़ी सुरक्षा के बीच राणा को भारत को सौंपा। 

कई सालों से हो रही थी राणा के प्रत्यर्पण की मांग

भारत कई सालों से तहव्वहुर राणा के प्रत्यर्पण की मांग कर रहा था। राणा ने प्रत्यर्पण को रोकने के लिए अमेरिका की हर अदालत का दरवाजा खटखटाया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने भी उसे राहत नहीं दी। 9 अप्रैल को अमेरिकी मार्शल्स ने लॉस एंजेलिस एयरपोर्ट पर राणा को भारत के हवाले किया।

राणा पर हैं ये आरोप

तहव्वुर हुसैन राणा पर 26/11 मुंबई हमलों में शामिल होने का आरोप है, इस हमले में 160 से ज्यादा लोग मारे गए थे। इनमें 6 अमेरिकी नागरिक भी शामिल थे। तहव्वुर राणा को भारत में 10 आपराधिक मामलों में मामलों का सामना करना होगा।

बता दें कि पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक तहव्वुर राणा पर हत्या, साजिश, आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने और फर्जी दस्तावेज तैयार करने संबंधी गंभीर आरोप लगे हैं। भारत का आरोप है कि राणा ने अपने बचपन के दोस्त और अमेरिकी नागरिक डेविड कोलमैन हेडली की मदद की, जिससे वह मुंबई जाकर हमला करने के लिए रेकी कर सका।

राणा को कोई पछतावा नहीं

भारत सरकार का ऐसा कहना है कि राणा को हमलों के बाद भी कोई पछतावा नहीं था। उसने हेडली से कहा कि ‘भारतीयों को यही मिलना चाहिए था’ और मारे गए 9 आतंकियों को पाकिस्तान का सबसे बड़ा वीरता पुरस्कार ‘निशान-ए-हैदर’ देने की बात भी उसने कही थी।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यह पहली बार नहीं है जब तहव्वुह राणा पर आतंकवाद से जुड़े मामलों में कार्रवाई हुई है। साल 2013 में अमेरिका की एक अदालत ने राणा को 14 साल की सजा सुनाई थी, जब वह डेनमार्क में एक अखबार पर हमला करने के षडयंत्र में दोषी पाया गया था। इसी केस में डेविड हेडली ने भी 12 आतंकवादी मामलों में दोष कबूल किया था और जिस पर उसे 35 साल की सजा मिली थी।

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