नई दिल्ली. भारतीय रेलवे ने पार्सल सेवा से जुड़े नियमों में बड़ा बदलाव किया है, जिससे छोटे और मझोले व्यापारी भी अब कम लागत में अपने सामान को देशभर में भेज सकेंगे। रेलवे पार्सल कारोबार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कई प्रमुख शर्तों में ढील दी गई है और प्रक्रिया को पहले से ज्यादा सरल व लचीला बना दिया गया है। यह आदेश रेलवे के निदेशक फ्रेट मार्केटिंग आशुतोष मिश्रा द्वारा जारी किया गया है।
अभी तक पार्सल बुकिंग कैसे होती थी?
रेलवे में पार्सल बुकिंग के चार प्रमुख तरीके हैं—
- सीधे रेलवे से पार्सल बुकिंग
- एसएलआर (SLR) और वीपी (VP) कोच को लीज पर लेना
- पूरी पार्सल ट्रेन बुक करना
- जेपीपी-आरसीसी (JPP-RCC) स्कीम के तहत बुकिंग
इन प्रक्रियाओं में आमतौर पर एग्रीगेटर यानी बिचौलिया कंपनियों की मुख्य भूमिका होती थी, जो विभिन्न छोटे व्यापारियों के सामान को एकत्रित करके रेलवे को देती थीं।
नए बदलाव क्या हैं?
रेलवे ने अधिक संख्या में एग्रीगेटर और व्यापारियों को जोड़ने के लिए आर्थिक शर्तों में बड़ी कटौती की है। अब—
- कंपनियों के लिए टर्नओवर और नेट वर्थ की अनिवार्य सीमा काफी कम कर दी गई है
- नए और छोटे एग्रीगेटर आसानी से SLR व VP कोच लीज पर ले सकेंगे
- छोटे शहरों के व्यापारी भी बहुत कम खर्च में अपना माल देशभर में भेज पाएंगे
- ई-नीलामी, टेंडर और रजिस्ट्रेशन प्रक्रियाओं को सरल बनाया गया है
20-30% तक बढ़ेगी पार्सल लोडिंग
रेलवे का अनुमान है कि नए नियम लागू होने से पार्सल लोडिंग में 20-30% तक वृद्धि हो सकती है। इससे व्यापारियों को तेज, सुरक्षित और सस्ता परिवहन विकल्प मिलेगा। रेलवे सभी जोन और मंडलों में पार्सल व्यापारियों व एग्रीगेटरों के साथ बैठकें कर रहा है ताकि हर आवश्यक व्यक्ति तक यह जानकारी पहुंच सके।
रेलवे इसके साथ जागरूकता अभियान भी चलाएगा, जिससे ज्यादा लोग नई सुविधा का लाभ उठा सकें।
व्यापारियों के लिए बड़ा अवसर
अगर आप अपना लॉजिस्टिक बिजनेस शुरू करना चाहते हैं या कम खर्च में सामान भेजने के विकल्प तलाश रहे हैं, तो अब रेलवे की पार्सल स्कीम से जुड़ना पहले से कहीं आसान हो गया है।
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