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Shani Sade Sati Kya Hai: साढ़ेसाती के अशुभ प्रभाव से बचना है तो शनिदेव को ऐसे करें प्रसन्न, दुख-दर्द, कष्ट दूर होंगे, मानसिक शांति मिलेगी

On: November 9, 2024
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Shani Sade Sati Kya Hai: ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, शनि की साढ़ेसाती एक विशेष दशा है और इसका प्रभाव साढ़े सात साल तक रहता है। यदि आपको यह लगता है कि साढ़ेसाती की दशा हमेशा अशुभ प्रभाव देती है तो ऐसा नहीं है। सबसे यह ज्ञात करना होगा कि जातक की व्यक्तिगत दशा क्या है। तत्पश्चात कुंडली में शनि की स्थिति ज्ञात करनी होगी। इसके बाद ही अवलोकन किया जा सकता है कि साढ़ेसाती या ढैय्या का फल अशुभ होगा या शुभ। शनि की यह दशा अगर शुभ परिणाम दे तो कई क्षेत्रों में सफलता मिलती है। जातक को एकाएक धन और उच्च पद मिल जाता है। लेकिन साढ़ेसाती दशा का प्रभाव अशुभ है तो जातक को आर्थिक, स्वास्थ्य, करियर व अन्य क्षेर में विभिन्न तरह के कष्टों का सामना करना पड़ता है। साढ़ेसाती सबसे ज्यादा मानसिक स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव डालती है। शनि की साढ़े साती के दौरान, मानसिक तनाव, शरीर में दर्द, और कई तरह के खर्चों का सामना जातक को करना पड़ता है।

शनि की साढ़ेसाती क्या है? (What is Shani Sade Sati?)

शनि की साढ़ेसाती उस वक्त होती है जब शनि ग्रह, लग्न से बारहवीं राशि में प्रवेश करता है।
शनि की चाल धीमी मानी गई, और एक राशि में करीब ढाई साल तक रहता है।
शनि की साढ़ेसाती, तीन चरणों में पूरी होती है।
पहले चरण को शुरुआती साढ़ेसाती माना जाता है।
दूसरे चरण को चरम काल साढ़ेसाती कहा जाता है।
तीसरे चरण को उतरती हुई साढ़ेसाती कहा जाता है।

साढ़ेसाती के उपाय (Shani Sade Sati Ke Upay)

प्रतिदिन शनि मंत्र ” ऊं शं शनैश्चराय नम: ” का जप करें। हर शनिवार को पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं। वहीं पर हनुमान चालीसा का पाठ भी करें। शनि की साढ़ेसाती से बचने के लिए, शनिवार के दिन स्नान-ध्यान के बाद जल में काले तिल मिलाकर शिवलिंग का अभिषेक करना चाहिए। भोजन में सरसों का तेल, काले चने और गुड़ का प्रयोग करें। व्यवहार और आचरण, चरित्र अच्छा रखें। एक लोहे का रिंग बाएं हाथ की मध्यमा अंगुली में धारण करें। जब साढ़ेसाती का प्रभाव ज्यादा हो तो शनिवार की संध्या दशरथ कृत शनि स्तोत्र का पाठ करें।

ऐसे करें शनिदेव की पूजा (Shani Puja Vidhi)

शनिवार को हनुमान चालीसा का पाठ करें और भगवान महादेव की आराधना करें।
शनिवार को सूर्योदय से पहले या सूर्यास्त के बाद शनि की पूजा करें।
काले या नीले आसन पर बैठकर तिल के तेल का दीपक जलाकर पश्चिम दिशा की ओर अपना मुंह कर प्राणायाम करें। फिर 7 बार शनिस्तोत्र का पाठ करें। यह सुबह और शाम लगातार 27 दिनों तक करें। अपनी समस्या के लिए शनिदेव से प्रार्थना करें।
शनि की साढ़े साती से बचने के लिए शनिवार के दिन शनिदेव मंदिर में सरसों का तेल और काले तिल अर्पित करने चाहिए।
शनिवार के दिन शनि चालीसा का पाठ अवश्य करें। वहीं शनिवार के लिए 21 बार शनि स्त्रोत का पाठ करने से साढ़े साती से मुक्ति मिलती है।

लाल किताब के उपाय (Lal Kitab Ke Upay)

  • काले कुत्ते, कौवे को रोटी खिलाएं ।
  • किसी निर्बल को प्रताड़ित न करें।
  • मछलियों को दाना दें।
  • बहते पानी में चावल या बादाम डालें।
  • तामसिक आहार से परहेज़ करें।
  • शनिवार के दिन सुबह पीपल के पेड़ में जल अर्पित करें।
  • शाम को पीपल पेड़ के पास सरसों तेल का दीपक जलाएं।

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