Monday, March 20, 2023
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नक्षत्र : शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती नक्षत्र के बारे में सूक्ष्म विवेचन

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नक्षत्र चर्चा: यहां हम चार नक्षत्रों शतभिषा, पूर्वभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती के विषय में चर्चा करेंगे। शतभिषा में जहां सौ तारों की स्थिति मानी गई है। वहीं पूर्वभाद्रपद और उत्तराभाद्रपद के जातकों की प्रकृति शांत होती है। रेवती नक्षत्र के जातक बेहद सुंदर होते हैं।

शतभिषा नक्षत्र (Shatabhisha Nakshatra)

राशि चक्र में शतभिषा नक्षत्र की स्थिति 306.40 अंश से 320 अंशों के बीच की है। इसे शत तारका, वरूण, यम के नामों से भी जाना जाता है। इस नक्षत्र में सौ तारे माने गए हैं। इसका आकार गोल है। वरुण को इसका देवता और राहु का इस नक्षत्र का स्वामी माना जाता है। इसके गण राक्षस, योनि अश्व और नाड़ी आदि मानी गई है। चरण अक्षरों में गो, सा, सी, सू हैं। इन चरणों के स्वामी प्रथम राहु, द्वितीय व तृतीय शनि, चतुर्थ गुरु माने गए हैं।

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शतभिषा नक्षत्र में जन्में जातकों का फलादेश (Horoscope of the people born in Shatabhisha Nakshatra)

शतभिषा नक्षत्र के जातक देखने में बेहद प्रतिष्ठित वर्ग के प्रतीत होते हैं। इनका शरीर कोमल, आकर्षक नेत्र, चौड़ा मस्तक, पेट निकला हुआ होता है। इनकी जानने, समझाने और याद रखने की क्षमता अद्भुत होती है। ये सत्यवादी, अपनी कर्तव्यपथ पर अडिग रहने वाले और निस्वार्थ होते हैं। ये नरमदिल होते हैं। इनमें धर्म-कर्म के प्रवृत्ति होती है। इस नक्षत्र में जन्में जातक आसानी से क्रोधित नहीं होते हैं, लेकिन कई बार इनका क्रोध बेहद तेज होते है। हालांकि ये अपने गुस्से पर जल्द काबू पा लेते हैं। इन्हें दिखावा करना नापसंद होता है। अपनी प्रतिभा को गुप्त ही रखते हैं। चर्चा के दौरान ही इनके कौशल का पता चलता है। इन जातकों में लेखन, साहित्य के प्रति रूचि होती है। ये उच्च शिक्षा ग्रहण करते हैं। मनोविज्ञान, चिकित्सा के क्षेत्र में ये सफल रहते हैं। इनकी रूचि ज्योतिष शास्त्र के प्रति भी होती है। ये हर किसी की मदद करते हैं। माता-पिता से ये भरपूर स्नेह प्राप्त करते हैं। इन्हें सांस, यूरिन, शुगर रोग हो सकता है।

इस नक्षत्र में जिन महिलाओं का जन्म होता है वे शांत रहती हैं, लेकिन कई बार इनका क्रोध बेहद ज्यादा होता है। इनकी स्मरण शक्ति तेज होती है। ये सभी की मदद के लिए तैयार रहती हैं। साथ ही किसी से कोई अपेक्षा नहीं करती हैं। इन जातिकाओं की साइंस विषय में रूचि होती है। इनका वैवाहिक जीवन सुखी नहीं रहता है, लेकिन ये अपने जीवनसाथी से बेहद प्रेम करती हैं। इन्हें सेहत को लेकर सावधान रहना चाहिए।

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नक्षत्र चर्चा:

पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र (Poorvabhadrapada Nakshatra)

पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र का राशि पथ में 320 अंश से 333.20 अंशों के बीच स्थिति मानी जाती है। इसे अजैकपाद, अजपाल के नामों से भी जाना जाता है। इस नक्षत्र में दो तारें माने गए हैं। इसका स्वामी अजैकबाद या रूद्र है। गुरु इस नक्षत्र के स्वामी हैं। यह नक्षत्र मीन राशि के अंतर्गत आता है। इस नक्षत्र की आकृति मंच या स्टेज की तरह है। इसके गण मनुष्य, योनि, सिंह, नाड़ी आदि है। इसके चरण अक्षरों में से, सो, दा, दी हैं। इसके प्रथम चरण के स्वामी मंगल, द्वितीय शुक्र, तृतीय बुध और चतुर्थ चरण के स्वामी चंद्र हैं।

 

पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में जन्में जातकों का फलादेश (Predictions of the people born in Poorvabhadrapada Nakshatra)

पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में जन्में जातकों का कद मध्यम होता है। ये शांत रहने वाले, बुद्धिमान, सिद्धांतों पर अडिग रहने वाले और सरल स्वभाव के होते हैं। इनका व्यवहार निष्पक्ष होता है। ये प्रभु के प्रति आस्था रखने वाले होते हैं। ये नरमदिल, हर किसी की मदद करने वाले होते हैं। अपने सरल व्यवहार के कारण लोगों में अत्यधिक लोकप्रिय होते हैं। इन जातकों को कारोबार में कामयाबी मिलती है। सरकारी नौकरी करने पर इनका पद ऊंचा रहता है। ज्योतिष, गूढ़ रहस्यों के अध्ययन के प्रति इनकी रूचि होती है। वैवाहिक जीवन सुखी होता है।

पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में जन्मी महिलाएं सच बोलने वाली, निष्ठावान, सुशील और हर किसी की मदद करने वाली होती हैं। इनकी विज्ञान, तकनीकी क्षेत्र में रूचि होती है। ये शिक्षिका, वैज्ञानिक हो सकती हैं। इनका वैवाहिक जीवन सुखद होता है। ये अपने बच्चों और पति से खूब प्रेम करती हैं। इन्हें लो ब्लड प्रेशर की समस्या हो सकती है।

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नक्षत्र चर्चा:

उत्तराभाद्रपद (Uttarabhadrapada)

उत्तराभाद्र पद नक्षत्र की राशि चक्र में स्थिति 333.20 अंश से 346.40 अंश के बीच की है। इसे अहिर्बुध्न्य के नाम से भी जाना जाता है। इस नक्षत्र में तीन तारे माने गए हैं। इस नक्षत्र के देवता अहिर्बुध्न्य और स्वामी शनि हैं। इसके गण मनुष्य, योनि गौ और नाड़ी मध्य है। इस नक्षत्र के चरण अक्षरों में टू, थ, झ, ञ है। इसके प्रथम चरण के सवामी सूर्य, द्वितीय बुध, तृतीय शुक्र और चतुर्थ चरण के स्वामी मंगल होते हैं।

 

उत्तराभाद्रपद नक्षत्र में जन्में जातकों का फलादेश (Horoscope of the people born in Uttarabhadrapada Nakshatra)

इन जातकों में आकर्षण होता है। ये सदैव मुस्कुराते रहते हैं। साथ ही बुद्धिशाली, सभी के साथ समान व्यवहार करने वाले, किसी से भेदभाव नहीं करने वाले होते हैं। इन्हें गुस्सा जल्दआता है। लेकिन ये किसी को कष्ट नहीं देते हैं। निर्मल मन होते हैं। इनकी बातचीत मधुर होती है। विरोधी भी इन्हें नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। शिक्षा के मामले में ये अच्छे होते हैं। कई विषयों में पारंगत होते हैं। ये विपरीत लिंग के प्रति ज्यादा आकर्षित होते हैं। इन्हें अपने पिता से अधिक प्यार होता है। हालांकि बालकाल में उपेक्षा का शिकार होना पड़ता है।इनका पारिवारिक जीवन सुखद होता है। पत्नी-बच्चों से खूब प्यार करते हैं।

इस नक्षत्र में जन्मी महिलाओं में पुरूषों के समान उपरोक्त गुणों का समावेश होता है। इनमें आकर्षण होता है। इनका कद मध्यम, नेत्र सुंदर होते हैं। ये जातिकाएं समय परिस्थिति के अनुसार खुद को ढालने वाली होती हैं। ये कानूनी पढ़ाई करती हैं। मेडिकल क्षेत्र में ये सफल होती हैं। इन महिलाओं को पेट रोग हो सकता है।

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नक्षत्र चर्चा:

रेवती नक्षत्र (Revati Nakshatra)

रेवती नक्षत्र की राशि चक्र में 346.40 अंश से 360 अंश के बीच स्थिति है। इसे पूषा के नाम  भी जाना जाता है। इस नक्षत्र में 32 तारों की स्थिति माने गई है। इसकी आकृति मृदंग के समान होती है। इस नक्षत्र का देवता पूषा, और बुध को स्वामी माना गया है। इसके गण देव, योनि गज, नाड़ी अंत है। यह नक्षत्र मीन राशि के अंतर्गत आता है। इसके चरण अक्षरों में दे, दो, चा, ची शामिल हैं। इस नक्षत्र के प्रथम चरण के स्वामी गुरु, द्वितीय एवं तृतीय शनि तथा चतुर्थ चरण के स्वामी गुरु हैं।

 

रेवती नक्षत्र में जन्में जातको का फलादेश (Horoscope of the people born in Revati Nakshatra)

रेवती नक्षत्र में जन्में जातकों का शारीरिक गठन मजबूत होता है। ये मन से निर्मल होते हैं। इनकी वाणी मधुर, व्यवहारिक, स्वतंत्र रहने वाले होते हैं। ये किसी काम में दखल नहीं देते हैं। साथ ही इनकी भी मंशा रहती है कि कोई इनके काम भी दखल न दें। ये जातक कई बार उग्र हो जाते हैं। इन्हें नियमों के अनुसार कार्य करने में शांति मिलती है। ये जातक धर्म-कर्म में ज्यादा ध्यान देते हैं। कई बार अंधविश्वास का भी शिकार हो जाते हैं। इन जातकों की इतिहास, खगोल, ज्योतिष आदि शास्त्रों में रूचि होती है। ये कवि भी हो सकते हैं। ये जातक विदेश यात्रा करते हैं। इनका वैवाहिक जीवन सुखद होता है। पत्नी सुंदर, सुशील होती है। इन्हें परिवार के मदद नहीं मिलती है।

रेवती नक्षत्र में जन्मीं जातिकाएं सुंदर, इनका व्यक्तित्व आकर्षक होता है। ये हठी भी होती हैं। इन्हें धर्म-कर्म में अधिक रूचि होती है। इसके अलावा ये कला, साहित्य, गणित विषयों में सफल रहती हैं। इनका दाम्पत्य जीवन सुखी होता है।

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