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सुप्रीम कोर्ट का फैसला उद्धव गुट के लिए राहत भरा, लेकिन रहेगा इस बात का मलाल

uddhav thackray

नई दिल्ली. शिवसेना के उद्धव गुट और शिंदे गुट विवाद में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने अहम फैसला सुनाया। शीर्ष कोर्ट ने कहा कि अगर उद्धव ठाकरे ने इस्तीफा ना दिया होता तो वह पुरानी स्थिति बहाल किया जा सकता था। Court ने मामले को सुनवाई के लिए बड़ी बेंच के पास भेज दिया है। Supreme कोर्ट ने अपने फैसले में उद्धव गुट के प्रमुख आरोपों पर मुहर लगाई जिसमें Court ने-राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी का फैसला गलत माना, -स्पीकर राहुल नार्वेकर का फैसला गलत माना और भरत गोगावले (शिंदे गुट के नेता) की व्हिप की नियुक्ति को गलत ठहराया।

उद्धव गुट को मिली राहत, लेकिन रहेगा मलाल!

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने जो फैसला लिया वह पूरी तरह गलत था और संविधान के खिलाफ था। यह फैसला से BJP और शिंदे गुट के लिए झटका है और उद्धव के लिए राहत भरा है, लेकिन उन्हें इस्तीफा देने का मलाल रहेगा।  अगर उद्धव ठाकरे उस समय इस्तीफा नहीं देते तो शायद आज महाराष्ट्र में तख्तापलट हो सकता था।  शिंदे गुट का कहना था कि 40 विधायक उनके साथ हैं इसलिए व्हिप नियुक्त करने का अधिकार उनके पास है। जबकि तब CM उद्धव ठाकरे ने शिवसेना का प्रमुख होने के नाते सुनील प्रभु को व्हिप नियुक्त किया था। अब Court ने साफ किया है शिंदे गुट की नियुक्ति सही नहीं थी।

सीनियर वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, ‘हर मामले पर सत्य की जीत हुई है। ये बात सही है कि उद्धव ठाकरे ने उस समय इस्तीफा दिया नहीं तो आज फैसला उद्धव के पक्ष में होना चाहिए था।

उद्धव गुट के नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत ने कहा, Supreme Court ने कहा है कि शिवसेना शिंदे समूह का व्हिप अवैध है ।।। वर्तमान सरकार अवैध है और संविधान के खिलाफ बनाई गई है। इस फैसले ने साबित किया कि देश में आज भी संविधान मौजूद है, संविधान की हत्या नहीं हुई है।

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