What is Deepfake : बॉलीवुड अभिनेत्री रश्मिका मंदाना से जुड़े एक वायरल वीडियो के चलते देश में डीपफेक चर्चा में है। महानायक अमिताभ बच्चन, रश्मिका मंदाना समेत कई सेलिब्रिटीज ने इस पर कठोर कानून बनाने की मांग उठाई है। रश्मिका ने पोस्ट लिखकर कहा है कि एक कम्युनिटी के तौर पर हमें इस पर ध्यान देने की जरूरत है।
ऐसा नहीं है कि यह पहला मामला है डीपफेक (Deepfake) पहले भी दुनियाभर के कई बड़ी हस्तियों की मुश्किलें बढ़ा चुका है। जिनमें रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, यूएस के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और बराक ओबामा का नाम प्रमुख रूप से शामिल हैं।
वहीं देश कई हिस्सों में डीपफेक द्वारा साइबर ठगी के मामले भी सामने आ चुके हैं। आइए जानते हैं आखिर ये डीपफेक क्या है और क्यों चर्चा में है।
डीपफेक क्या है (What is Deepfake)
Deepfake एक डिजिटल पद्धति है, जिसमें किसी व्यक्ति की इमेज, ऑडियो या वीडियो को तोड़मरोड़, बदल कर प्रसारित कर दिया जाता है। डीपफेक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के आने के बाद और ज्यादा चर्चा में है। एआई कंप्यूटर साइंस का एक ब्रांच है और यह पूरी तरह से कंप्यूटिंग सिस्टम पर आधारित हैं।
डीपफेक से जुड़े शोध के अनुसार डीपफेक पद्धति में नकली घटनाओं को वास्तविक दिखने या बतलाने के लिए डीप लर्निंग नाम के कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के रूप का प्रयोग किया जाता है। डीपफेक का इस्तेमाल गूगल, लिंक्डिन जैसे साइट्स पर हूबहू खाता बनाने के लिए भी किया जा रहा है। दुनियाभर के मशहूर सेलिब्रिटीज के अलावा सोशल मीडिया के कुछ पापुलर यूजर भी Deepfake का उपयोग करने वाले लोगों के निशाने पर हैं।
कैसे किया जाता है डीपफेक से फर्जीवाड़ा?
Deepfake बनाने के लिए सबसे पहले किसी व्यक्ति की फोटो को सलेक्ट किया जाता है। यानी पहले यह निर्धारित किया जाता है कि किस व्यक्ति और किस परिस्थिति का डीपफेक बनाना है? इसके बाद आगे की प्रोसेस शुरु होती है।
फिर डीपफेक बनाने वाले आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टूल पर जाकर सबसे पहले एनकोडर नामक AI एल्गोरिदम से यह तय किया जाता है कि इसका चेहरा हूबहू किस हस्ती से मिलेगा। विशेषज्ञों का कहना है कि एनकोडर का काम दो Images के बीच समानताएं ढूंढना है। तत्पश्चात डिकोडर एआई एल्गोरिदम का इस्तेमाल किया जाता है। डिकोडर के जरिए जिस व्यक्ति का डीपफेक बनाया जाता है, उसे फाइंड किया जाता है। इसके बाद फेस स्वैप की सहायता से डीपफेक फोटो या वीडियो को बनाया जाता है।
द गार्जियन के अनुसार दुनियाभर में डीपफेक का पहला मामला साल 2017 में आया था। उस दौरान रेडिट पर कुछ मशहूर हस्तियों के क्लिप पोस्ट किए गए थे। जिनमें गैल गैडोट, टेलर स्विफ्ट, स्कारलेट जोहानसन का नाम प्रमुख था। इसके बाद धीरे-धीरे डीपफेक का दायरा बढ़ता गया।
डीपफेक का हो रहा गलत उपयोग?
डीपफेक से जुड़े अब तक जो मामले सामने आए हैं, उसके मुताबिक इसका इस्तेमाल सबसे ज्यादा अश्लीलता और पैसे उगाही के लिए किया जा रहा है। भारत में भी डीपफेक के जरिए पैसे उगाही के कई मामले सामने आ गए हैं।पुलिस जानकारी में जो मामले सामने आए हैं, उसके अनुसार इन वीडियो कॉल और वॉयस ओवर के साथ ही एक संदिग्ध अकाउंट नंबर भी रहता है, जिस पर तत्काल पैसे भेजने की अपील किया जाता है।
डीपफेक रोकने के लिए दुनियाभर में क्या कानून है?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुतापबिक साल 2019 में डीपफेक पर अमेरिका ने एक कानून बनाया था। लेकिन वह कारगर साबित नहीं हो रहा है। वर्ष 2019 के कानून के मुताबिक सुरक्षा एजेंसियों को यह देखने की जिम्मेदारी दी गई थी कि क्या अमेरिका को नुकसान पहुंचाने के लिए अन्य देश डीपफेक का उपयोग कर रहे हैं।
बीते दिनों अमेरिका में डीपफेक कानून को लेकर एक प्रस्ताव तैयार किया गया है। जिसमें कहा गया है कि बिना अनुमति लिए किसी व्यक्ति का डीपफेक बनाया जाता है, तो वह क्राइम की श्रेणी में आएगा। जिसमें जेल की सजा और जुर्माना दोनों का प्रावधान किया गया है। वहीं चीन पहला देश है, जिसने डीपफेक को गैरकानूनी करार दिया है। इसके लिए यहां का कानून काफी कठोर है।
वहीं डीपफेक को लेकर भारत में फिलहाल कोई अलग से कानून नहीं है। रश्मिका मंदाना मामले में दिल्ली पुलिस में जो एफआईआर दर्ज किया है, उसमें आईटी एक्ट के अलावा जालसाजी और प्रतिष्ठा की हानि से संबंधित धाराएं शामिल हैं। (What is Deepfake?)