चंद्र का जातक पर क्या प्रभाव पड़ता है What is the effect of Moon on the native: ज्योतिष में चन्द्र ग्रह का महत्वपूर्ण स्थान है। इसे शुभ एवं सौम्य ग्रह माना जाता है। राशि चक्र में इसकी स्थिति अनुकूल होने पर जातक को उसके जीवन-काल में सुख, सौन्दर्य, संपत्ति, संपन्नता एवं मान प्रतिष्ठा प्राप्त होती है। चंद्र को देव माना गया है। समुद्र मंथन में निकले रत्नों में से एक चंद्र भी है, जिन्हें भगवान शिव ने अपने मस्तक पर धारण किया था। चंद्र का वर्ण श्वेत व इनका वाहन सफेद रंग के दस घोड़े से चलने वाला रथ माना गया है।चंद्र के अन्य नामों में सोम, रजनीपति, शशि, कला, निधि, इन्दु, शशांक, मृगांक, सुधाकर, मयंक शामिल हैं। भूमि के भीतर से प्राकृतिक पानी, झरने आदि चन्द्र माने जाते हैं।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो चंद्र पृथ्वी का उपग्रह है। सामान्य स्थिति में धरती से चन्द्र की दूरी 3,84,000 किलोमीटर है। चंद्र 27 दिनों में पृथ्वी का चक्कर लगाता है। यह ग्रह 15 दिन तक लगातार चलता रहता है एवं इसके पश्चात् वह इसी तरह 15 दिनों तक इसकी कलाएं क्षीण होती है। चंद्र की कलाओं के कारण शुक्लपक्ष व कृष्णपक्ष होते हैं। गतिशीलता एवं अन्य ग्रहों की स्थिति के कारण चन्द्रमा का प्रकाश और स्वयं उसका आकार घटता-बढ़ता है। चन्द्रमा एक राशि में सवा 2 दिन रहते हैं।
बृहस्पति के साथ रहने से चन्द्र के बल में अत्यधिक वृद्धि हो जाती है। चन्द्र के सूर्य और बुध मित्र ग्रह और शनि, शुक्र, बृहस्पति, मंगल सम ग्रह हैं तथा राहु-केतु को शत्रु माना गया है। चन्द्र कर्क राशि का स्वामी है और इनकी उच्च राशि वृष है। चन्द्र की नीच राशि की संज्ञा वृश्चिक को मिली है। सोम नाम होने के कारण इनके नाम पर सोमवार कहा जाता है
प्रथम भाव में चन्द्र (Moon in First House)
लग्नस्थ चन्द्रमा या किसी शुभ ग्रह की दृष्टि हो तो जातक बलवान, बुद्धिमान तथा स्वस्थ होता है। साथ ही वह कपटी और वाचाल भी होता है। लग्नस्थ चन्द्र वाले जातक को जल से डर लगता है। वह भ्रमण करने वाला होता है। चन्द्र स्वराशि या द्विस्वभाव राशियों में रहे तो उपरोक्त फल विशेष रूप से देखने में आता है। ऐसे जातक की सामाजिक कार्यों में रुचि होती है तथा उसे समाज में अच्छा सम्मान भी मिलता है। लग्न में पूर्णिमा का चन्द्र हो तो जातक सुन्दर व सुशील होता है, पर यही चन्द्र क्षीण हो, तो जातक मलिन एवं दुर्बल होता है। लग्न में मेष, वृष या कर्क राशि का चन्द्र हो तो जातक धनी एवं सुन्दर होता है। अन्य राशियों में अकेला चन्द्र होने से जातक मूर्ख, रोगी एवं दरिद्र होता है। उसे खांसी, सांस एवं वात रोग होते हैं।
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दूसरे भाव में चन्द्र (Moon in Second House)
चन्द्र उच्च का या स्वराशिस्थ हो तो जातक कठिनता से धन संचय करता है वाणी में खोट होता है, रूक-रूककर बात करता है। मकर या वृश्चिक राशि का चन्द्र धन भाव में हो तो जातक व्ययशील होता है। इसके चलते सम्पत्ति का क्षय हो जाना स्वभाविक रहता है। उसके सगे सम्बन्धी भी सहयोग नहीं करते हैं। बार-बार हानि होने से उसकी कोई मदद नहीं करता है। धन स्थान का चन्द्र अच्छी बुद्धि प्रदान करता है। यदि चन्द्र अमावस्या योग में हो, अर्थात् चन्द्र के साथ सूर्य भी हो तो जातक पैतृक सम्पत्ति को नष्ट कर देता है। पाप प्रभाव में आया चन्द्र जातक को विद्या से भी वंचित कर देता है। भोजन नहीं पचता, फलतः उसकी देह और बुद्धि क्षीण हो जाती है। दूसरे भाव में चन्द्र बली हो तो जातक का परिवार बड़ा होता है। सुख, संपत्ति, वैभव की कमी नहीं होती। वह कोमल तथा मीठे वचन बोलने वाला होता है। शारीरिक सुख उसे प्राप्त होते हैं। ऐसा जातक उत्तम विद्या प्राप्त करता है। चन्द्र उच्च राशि में हो तो जातक विपुल धन का स्वामी बनकर संतुष्ट होता है। उसे स्त्रियों से सहायता मिलती है।
तीसरे भाव में चन्द्र (Moon in Third House)
तीसरे भाव में चन्द्र होने से जातक सरल होता है। स्त्रियों के प्रति जल्द आकर्षित नहीं होता है। जातक स्वयं के प्रयासों से आगे बढ़ता है, उसके परिवार का कोई योगदान नहीं होता। पुरुष राशि का चन्द्र हो तो भाइयों से अनबन रहती है तथा भाई उन्नति में बाधक होते हैं। इतने पर भी ऐसा जातक उत्तरोत्तर वृद्धि को प्राप्त होता है। धार्मिक प्रवृत्ति के कारण उसे समाज में आदर और मान मिलता है। सहज भावस्य चन्द्र होने से जातक प्रवासी प्रवृत्ति का होता है। रहस्यमयी और गहन विषयों के अध्ययन की उसकी रुचि होती है। ऐसे जातक के कारोबार भी बार-बार बदलते हैं। उम्र के साथ प्रसिद्धि मिलती रहती है। ऐसे जातक का दाम्पत्य जीवन सामान्य होता है। उसमें त्वरित निर्णय लेने की अद्भुत क्षमता होती है। ऐसे जातक मेहनत करने में भरोसा करता है। ये प्रायः हर कार्य सफल रहते हैं।
चंद्र का जातक पर क्या प्रभाव पड़ता है?
चौथे भाव में चन्द्र (Moon in 4th House)
चतुर्थ चन्द्र जातक को अच्छा वक्ता बनाता है। चन्द्र-मेष, सिंह, धनु में हो तो पैतृक सम्पत्ति में नहीं मिलती। वह स्वयं धन अर्जित कर लेता है। कन्या, वृश्चिक और मकर में हो तो स्वयं सम्पत्ति बना लेना असम्भव ही होता है। अन्य राशियों में पैतृक सम्पत्ति मिलती है। अगर चौथे भाव में चन्द्र हो तो जातक कुल से अधिकार पाता है। उसके घर में पशुओं की कमी नहीं होती। ऐसा जातक स्वभाव से परोपकारी होता है। आत्मविश्वास अधिक ही होता है। राशि में चन्द्र हो तो बार-बार घर बदलने की स्थिति बनती है। उच्च का चन्द्र हो तो ससुराल से सम्पत्ति की प्राप्ति होती है तथा भाग्योदय होता है। अगर चतुर्थ भावस्य चतुर्थ चन्द्र पापी ग्रहों से प्रभावित हो तो माता बीमार रहती है। उसे बचपन में सुख नहीं मिलता। यदि माता-पिता जीवित रहें तो उनसे मतभेद बने रहते हैं। जीविका के लिए उसे परिश्रम करना पड़ता है। नौकरी में उन्नति धीमी गति से होती है।
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पंचम भाव में चन्द्र (Moon in 5th House)
पांचवे भाव में चन्द्र बली हो तो जातक खूब लाभ कमाता है तथा उसका जीवन मौजमस्ती से भरा होता है। ऐसा जातक अपनी स्त्री को प्यार करता है। लाभ मिलता है, चूंकि पंचम स्थान स्त्री का लाभ स्थान है। चन्द्र- वायु तत्वीय राशियों में हो तो कन्या संतति सुख की प्राप्ति होती है। पंचमस्थ चन्द्र पाप प्रभाव में हो तो जातक मानसिक रूप से मलिन होता है। काम में असफलता हाथ लगती है। ऐसा जातक निराशावादी हो जाता है। जलीय एवं अग्नि तत्वीय राशियों में चन्द्र हो तो पहले पुत्र तथा फिर कन्या सन्तान होती है। चन्द्र के पृथ्वी तत्वीय राशि में होने से जातक उच्च शिक्षा प्राप्त कर लेता है। चन्द्र अग्नि तत्वीय राशियों में हो तो पूरी नहीं होती है। वायु तत्वीय राशियों में चन्द्र के होने से जातक कम बोलने एवं अधिक कार्य करने की नीति अपनाते हैं। ऐसे जातक को पत्नी सुंदर व सुशील मिलती है। ऐसा जातक ईश्वरभक्ति में लीन होता है।
छठे भाव में चन्द्र (Moon in 6th House)
छठे भाव में चन्द्र हो तो देह सुख नहीं मिलता। छठा चन्द्रमा अनिष्ट प्रद होता है। व्यवसाय में कठिनाइयां आती हैं तथा शत्रुओं द्वारा परेशानियां उत्पन्न की जाती हैं। कर्क राशि में चन्द्र छठे भाव में हो तो जातक को उदर रोगी बनाता है। अग्नि राशि का चन्द्रमा हो तो जातक दृढ़ निश्चयी होता है। अगर जातक व्यवसाय करे तो अच्छा लाभ कमा लेता है तथा यशस्वी होता है। नीचस्थ चन्द्र शत्रु स्थान में हो तो विरोधी अधिक होते हैं, धन का व्यर्थ व्यय होता है। चन्द्र पृथ्वी तत्वीय राशियों में होने से विशेष कष्ट कारक बनता है, क्योंकि इस अवस्था में चन्द्र अष्टमेश चतुर्थेश तथा व्ययेश बनता है तथा मानसिक, शारीरिक एवं आर्थिक कष्ट देता है। प्रायः नजला-जुकाम के कारण सांस लेने में कठिनाई आती है। यदि चन्द्र द्विस्वभाव राशियों में हो तो कफ-क्षय इत्यादि फेफड़ों का रोग देता है ।
सातवें भाव में चन्द्र (Moon in 7th House)
सातवें भाव में चन्द्र हो तो जातक को जीवन का पूर्ण सुख नहीं होता। उच्चस्थ चन्द्र द्विभार्या योग बनाता है। ऐसे जातक की किस्मत शादी के बाद खुलती है। पत्नी की मृत्यु के बाद स्थिति विपरीत बन जाती है। पुरुष राशि का चन्द्र स्व पत्नी या पति में आसक्ति बनाए रखता है। स्त्री राशि का चन्द्र व्याभिचार की ओर आकृष्ट करता है। यदि चन्द्र अग्नि राशि में हो तो जीवन साथी का चेहरा गोल होता है, लेकिन वायु तत्वीय राशि में रहने से प्रभावशाली जीवन साथी मिलता है। ऐसे जातक के जीविका के साधन भी बदलते रहते हैं। अगर व्यवसायी हो तो व्यापार स्थिर नहीं रहता, नौकरी स्थिर नहीं रहती। जिस जातक की कुण्डली के सातवे भाव में चन्द्र हो उसे प्रोविजन स्टोर्स, दूध, दवा, होटल, ढाबा, बेकरी, बीमा का कार्य करना लाभप्रद होता है।
आठवें भाव का चन्द्रमा (Moon in 8th House)
चन्द्र के आठवें भाव में होने से अनिष्ट का भय रहता है। बीमारी ज्यादा होती है। जल में डूबने का डर बना रहता है। बचपन में अनहोनी घटना हो सकती है। अग्नि राशि का चन्द्र हो तो किसी-न-किसी तरह से जातक को धन मिलता ही रहता है। चन्द्र वायु तत्वीय राशियों में हो तो जीवन साथी अच्छा मिलता है, लेकिन परिवार में विवाद की स्थित बनी रहती है। ऐसा जातक ईश्वर भक्त होता है। उसके घर की गुप्त बातें दूसरों को नौकरों द्वारा या पत्नी द्वारा ज्ञात हो जाती हैं। 45वें वर्ष से धन क्षय के योग बनते हैं। यदि चन्द्र उच्च का स्वगृही हो तो शुभ फल मिलते हैं।
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नवें भाव का चन्द्र (Moon in 9th House)
नवें भाव में चन्द्र हो तो जातक धर्मात्मा होता है। उसे सुख-संपत्ति प्राप्त होती है। यात्राओं का शौकीन होता है, प्रवास करते समय अच्छा धन लाभ भी कर लेता है। ऐसा जातक ज्ञानवान होता है। नवमेश दूषित हो तो संतानाभाव भी संभव होता है। चंद्र पुरुष राशि में हो तो छोटे भाई होते हैं, बड़ा भाई अपवाद रूप में हो भी तो उसे सुख नहीं मिलता। चन्द्र मेष राशि का हो तो भाग्योन्नति में अनेक विघ्न आते हैं। यदि चन्द्र पृथ्वी राशि में हो तो जातक की शिक्षा प्राय: अनेक अड़चने आने के कारण पूर्ण नहीं हो पाती। वायु राशि में हो तो अड़चने बाधाएं आती हैं, यदि चन्द्र अन्य राशियों में हो तो प्राय: शिक्षा में विघ्न उपस्थित नहीं होते। स्त्री राशि में चन्द्र के रहने से पुत्र सन्तान प्राय: अधिक आयु में प्राप्त होती है।
दसवें भाव का चन्द्र (Moon in 10th House)
दसवें भाव का चन्द्र शुभ फल देता है। ऐसा जातक धन एवं सम्मान दोनों ही प्राप्त कर लेता है। चन्द्र उच्च राशि में हो तो धन का संचय नहीं होता, इसलिए धन के विषय में उतार-चढ़ाव होते रहते हैं। चर राशि का चन्द्रमा हो तो कारोबार में स्थिरता नहीं रहती। जातक नौकरी में हो तो स्थानांतरण होते हैं। माता-पिता से वियोग हो जाता है। राजनीति में सफलता मिलती है स्थिर राशि में हो तो जीवन भर पूर्वजों का ऋण चुकाने में व्यतीत होता है। द्विस्वभाव राशि में हो तो भाग्य अच्छा नहीं होता । हालांकि कुलीन परिवार में जन्म होता है। परिस्थितियों के अनुसार सफलता प्राप्त कर लेता है। महिला वर्ग से लाभ मिलता है। नौकरी में उन्नति के अवसर मिलते हैं।
ग्यारहवें भाव का चन्द्र (Moon in 11th House)
चन्द्र के भी ग्यारहवें भाव में होने से शुभ अशुभ दोनों प्रकार के फल प्राप्त होते हैं। पुरुष राशि का चन्द्रमा हो तो जातक पहले से ही चलता आ रहा कार्य व्यवसाय को छोड़कर दूसरा कार्य शुरू करता है। यदि स्त्री राशि में चन्द्र हो तो पूर्व के व्यवसाय के साथ अन्य कार्य भी प्रारम्भ कर दोनों से लाभ उठाता रहता है। चन्द्र लाभ स्थान में हो तथा दिन का जन्म हो तो जातक यशस्वी होता है। अगर चन्द्रमा शुभ प्रभाव में हो तो जातक साहसी होता है। ऐसा जातक में सोच-विचार कर कार्य करता है। शत्रुओं के लिए ऐसा जातक काल होता है। उच्च का चन्द्र हो तो जातक उच्चाधिकारी बनता है, धन की कमी नहीं । उसके मित्र सहयोगी होते हैं।
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बारहवें भाव में चन्द्र (Moon in 12th House)
बारहवें भाव में चन्द्र अशुभ फल प्रदान करता है। यदि चन्द्र नीच राशि, शत्रुक्षेत्र में बलहीन हो तो जातक शारीरिक रूप से कमजोर, कफ रोग से पीड़ित, क्रोधी, धन से रहित तथा कलह करने वाला होता है। उसका चरित्र भी संदेहास्पद होता है। अगर जातक का जन्म कृष्ण पक्ष में हो तो कोई भी उस पर भरोसा नहीं करता है। लेकिन पक्ष बली शुभ प्रभावी, मित्र क्षेत्री या उच्च राशि का चन्द्र हो तो लाभ मिलता है तथा धन संपत्ति की वृद्धि होती है। उच्च के चन्द्र के किसी सम्बन्धी के मरणोपरांत उसकी सम्पत्ति मिलती है। दाम्पत्य जीवन सुखकर नहीं होता। पत्नी से भी सम्बन्ध अच्छे नहीं रहते, दूसरे विवाह होने की प्रबल आशंका रहती है। यदि कन्या राशि का चन्द्र हो तो जातक को पिता का छोड़ा ऋण चुकाना पड़ता है। जुआ, सट्टा आदि व्यसन होते हैं।
चन्द्र के उपाय (Moon Remedies)
जिन जातकों का चन्द्र कमजोर हो उन्हें शिव उपासना, माता-पिता व ब्राह्मणों की सेवा करना चाहिए। सोमवार का उपवास रखें। सोमवार के दिन दूध, दही व चावल का दान करें। पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करें। शीशे के बर्तन में पानी न पिएं। जातक चन्द्र ग्रह दोष दूर करने हेतु मोती रत्न धारण करें।
नक्षत्र : शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती नक्षत्र के बारे में सूक्ष्म विवेचन
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