डॉ. नीरज गजेंद्र. दुनिया में ऐसा कौन है जिसने कभी असफलता का स्वाद न चखा हो। जीवन की इस यात्रा में विफलताएं अपरिहार्य हैं, लेकिन उनका असली सौंदर्य हमें हमारी आंतरिक शक्तियों से परिचित कराती हैं। समाज में सफलता का जितना महिमामंडन होता है, विफलताओं को उतनी ही नकारात्मक दृष्टि से देखा जाता है। परंतु हम इतिहास में झांकें, तो पाएंगे कि प्रत्येक बड़ी सफलता के पीछे विफलताओं की एक लंबी शृंखला रही है।
थॉमस एडिसन और एपीजे अब्दुल कलाम की विफलता और सफलता की कहानी पहले आप पढ़ सुन चुके हैं। एडिसन ने तो गजब ही कहा है कि वे असफल नहीं हुए, बल्कि उन्होंने दस हजार ऐसे तरीकों की खोज की जो सफलता के मुकाम तक नहीं पहुंचाती है। इसी तरह, डॉ कलाम ने स्वयं कहा था कि असफलता कभी-कभी जीवन में एक जरूरी ब्रेक की तरह होती है, जो हमें आत्मविश्लेषण और आत्मसुधार का अवसर देती है।
कई असफलताओं के बाद एक सफल मुकाम हासिल करने वाले इन दो उदाहरणों के बाद आपको यह भी जानना चाहिए कि हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में हुए एक अध्ययन के अनुसार जिन लोगों ने विफलताओं का सामना किया होता है, वे जीवन में अधिक धैर्यवान और नवाचारशील होते हैं। असफलताएं न केवल हमारी क्षमताओं को चुनौती देती हैं, बल्कि हमें नया सोचने और चीजों को अलग दृष्टिकोण से देखने की प्रेरणा भी देती हैं।
शोध से पता चला है कि मानव मस्तिष्क का स्वभाव कुछ इस तरह बना है कि जब हम असफल होते हैं, तो हमारा दिमाग अधिक सक्रिय हो जाता है और समस्याओं के नए समाधान ढूंढ़ने की दिशा में कार्य करता है। यह प्रक्रिया हमें अधिक मजबूत और बुद्धिमान बनाती है।
जीत आपकी किताब के लेख शिव खेड़ा की तरह ही हैरी पॉटर तो आपने देखा-सुना या पढ़ा होगा, उस शृंखला की लेखिका जेके रोलिंग की किताब को 12 से अधिक प्रकाशकों ने प्रिंट करने से ठुकरा दिया था। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और आज उनकी पुस्तकें करोड़ों लोगों तक पहुंच चुकी हैं।
ऐप्पल कंपनी से निकाले जाने के बाद स्टीव जॉब्स ने निराशा के बजाय अपनी रचनात्मकता को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया और पिक्सार तथा नेक्स्ट जैसी कंपनियों की नींव रखी। बाद में ऐप्पल को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने में उन्हीं की भूमिका रही। फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह रोम ओलंपिक्स में मामूली अंतर से पदक चूक गए थे, लेकिन उन्होंने इस असफलता को अपनी ताकत बनाया और आगे कई रिकॉर्ड कायम किए।
विफलता को अवसर में बदलने की कला ही जीवन का सार है। जब भी हम असफल होते हैं, हमें खुद से पूछना चाहिए कि इस असफलता से मैंने क्या सीखा। क्या मैं अपनी रणनीति में बदलाव करके आगे बढ़ सकता हूं। क्या यह असफलता वास्तव में मेरी अंतिम हार है या बस एक पड़ाव है। असफलता केवल एक ठहराव होती है, न कि यात्रा का अंत। यदि हम अपनी गलतियों से सीखें और अपने प्रयासों में निरंतरता बनाए रखें, तो निश्चित रूप से सफलता हमारे कदम चूमेगी। हमें यह जानना चाहिए कि हमारी विफलताएं जीवन की सबसे मूल्यवान शिक्षिकाएं हैं। वे हमें हमारी कमजोरियों और शक्तियों का बोध कराती हैं। यदि हम उन्हें एक अवसर के रूप में अपनाएं, तो वे हमें हमारी सर्वश्रेष्ठ क्षमता तक पहुंचाने में सहायक बन सकती हैं।
जिंदगी बदले की नहीं, बदलाव की होनी चाहिए