महासमुंद. राशन कार्ड धारकों को समय पर खाद्यान्न उपलब्ध कराने और सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) को सुचारू रखने के उद्देश्य से जिला प्रशासन ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी विनय लंगेह के निर्देशानुसार प्राथमिक कृषि साख समितियों द्वारा संचालित उचित मूल्य की दुकानों को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया है। अब इन दुकानों का संचालन आगामी आदेश तक ग्राम पंचायतों द्वारा किया जाएगा।
प्रशासन द्वारा जारी आदेश के अनुसार महासमुंद जिले में कुल 156 राशन दुकानों का संचालन ग्राम पंचायतों को सौंपा गया है, जिसमें महासमुंद के 67, बागबाहरा के 25 और सरायपाली क्षेत्र की 64 समितियां शामिल हैं।
क्यों लिया गया यह निर्णय
प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों के प्रबंधक एवं विक्रेता अनिश्चितकालीन हड़ताल पर थे, जिसके कारण नवंबर माह का राशन वितरण शुरू नहीं हो पाया। परिणामस्वरूप अंत्योदय, निराश्रित, निशक्तजन, प्राथमिकता एवं एपीएल श्रेणी के हजारों राशन कार्ड धारकों को खाद्यान्न से वंचित होना पड़ा।
छत्तीसगढ़ सार्वजनिक वितरण प्रणाली (नियंत्रण) आदेश 2016 के अनुसार प्रत्येक माह के पहले सप्ताह में राशन वितरण प्रारंभ किया जाना अनिवार्य है। आदेश का पालन न होना इस नियम का स्पष्ट उल्लंघन माना गया है। यह कार्यवाही आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 की धारा 3/7 के तहत दंडनीय है।
प्रशासन का उद्देश्य
प्रशासन ने स्पष्ट कहा कि—
“जनहित सर्वोपरि है, इसलिए राशन वितरण बाधित नहीं होने दिया जा सकता।”
राशन कार्डधारियों को राहत देने और खाद्यान्न वितरण को तुरंत बहाल करने के लिए ग्राम पंचायतों को संचालन का अधिकार सौंपा गया है ताकि कोई भी परिवार सरकारी सुविधा से वंचित न रहे।
यह निर्णय आम उपभोक्ताओं के हित में लिया गया एक महत्वपूर्ण और समय पर कदम है। इससे सार्वजनिक वितरण प्रणाली को मजबूती मिलेगी और राशन वितरण में पारदर्शिता व गति सुनिश्चित होगी।










