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छग प्रदेश तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ की सक्रियता से विभाग ने दी सफाई

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महासमुंद. महासमुंद जिले में जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा जारी एक पत्र ने शिक्षा जगत में विवाद खड़ा कर दिया था। जिसका विरोध होने पर अब विभाग ने उक्त पत्र को लेकर सफाई दी है।

पत्र में प्राचार्यों के नियंत्रण वाली शालाओं में एक ही कैम्पस की हाई/हायर सेकंडरी स्कूलों में व्याख्याता की कमी को प्राथमिक/ माध्यमिक के शिक्षकों से शिक्षण व्यवस्था कराने हेतु विकासखंड शिक्षा अधिकारियों को पत्र लिखा गया था।

जिस पर छत्तीसगढ़ प्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ, पंजीयन क्रमांक 249 ने इसे राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एन सी टी ई) और छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के दिशानिर्देशों का उल्लंघन बताते हुए कड़ा विरोध दर्ज किया था । संगठन की सक्रियता के बाद जिला शिक्षा अधिकारी ने स्पष्ट किया कि यह कोई आदेश नहीं, बल्कि स्वैच्छिक सहयोग की अपील थी ।

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संघ के अध्यक्ष ओम नारायण शर्मा ने कहा कि पत्र एन सी टी ई की 23 अगस्त, 2010 की अधिसूचना के अनुसार, डी.एड. धारी शिक्षक केवल कक्षा 1-8 के लिए योग्य हैं, जबकि हाई/हायर सेकंडरी स्तर के लिए बी.एड. और स्नातकोत्तर योग्यता आवश्यक है।

हाईकोर्ट ने भी आदेश दिया था कि डी.एड. धारक प्राथमिक और बी.एड. धारक उच्चतर स्तर के लिए पात्र हैं । संगठन ने पत्र को हाईकोर्ट आदेश की अवमानना मानकर जिला शिक्षा अधिकारी से आदेश वापस लेने की मांग की थी |

जवाब में, जिला शिक्षा अधिकारी ने पत्र के माध्यम से कहा कि कुछ स्कूलों में व्याख्याताओं की कमी के कारण यह अपील की गई, जो अस्थायी है। उन्होंने जोर दिया कि यह बाध्यकारी निर्देश नहीं है और एन सी टी ई /हाईकोर्ट नियमों का उल्लंघन करने का इरादा नहीं था।

संघ के सचिव अनिल कोसरिया ने स्पष्टीकरण का स्वागत किया, लेकिन स्पष्ट किया कि शिक्षकों पर दबाव न डाला जाए । उन्होंने कहा, “हाई स्कूलों में रिक्त पदों पर स्थायी भर्ती जरूरी है, ताकि शिक्षा की गुणवत्ता बनी रहे। युक्तियुक्तकरण के बावजूद शिक्षकों की कमी बरकरार है जो इस नीति की असफलता को उजागर करता है |

अभिभावक त्रिलोक ने कहा, “हाई स्कूल में बी.एड व स्नातकोत्तर धारी विशेषज्ञ शिक्षकों की जरूरत है । गैर-योग्य शिक्षकों से पढ़ाई बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है।

जानकारी के अनुसार जिले में सैकड़ों व्याख्याता के पद रिक्त हैं । संघ ने माँग की कि सहयोग स्वैच्छिक हो और रिक्त पदों पर भर्ती शुरू हो । संगठन ने चेतावनी दी कि शैक्षणिक व्यवस्था हेतु किसी प्रकार का दबाव ना डाला जाए |

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