Rules for offering Belpatra: हिंदू धर्म के लोगों के लिए सावन माह पावन और पवित्र होता है। श्रद्धालु इस माह में शिवलिंग की पूजा और जलाभिषेक करते हैं। कांवड़ यात्रा के दौरान शिवलिंग पर फल-फूल, भांग, धतूरा और बेलपत्र मुख्य रूप से चढ़ाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार शिवजी को बेलपत्र अधिक प्रिय होता है।
सावन माह के पवित्र महीने में कई लोग प्रतिदिन शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाते हैं। लेकिन ये बेलपत्र आपकी पूजा को शुभ और अशुभ दोनों बना सकता है। एक जरा सी गलती और आपकी पूजा निष्फल व अशुभ हो जाएगी। ऐसे में शिवलिंग पर बेलपत्र अर्पण करते हुए कुछ खास बातों का ध्यान रखना जरूरी है।
बेलपत्र अर्पित करने का नियम
सावन मास में हर कोई भगवान शिव के मंदिर में जलाभिषेक करने के बाद बेलपत्र अर्पित करता है। भगवान शिव को बेलपत्र काफी ज्यादा प्रिय होता है। लेकिन भगवान शिव इस क्रिया से तभी प्रसन्न होते हैं, जब आप इसे सही नियम और विधि के साथ चढ़ाते हैं
- शिवलिंग पर अर्पित करने के लिए लिया गया बेलपत्र हमेशा तीन पत्तों वाला होना ही चाहिए। बेलपत्र का पत्ता कहीं से भी फटा और कटा नहीं होना चाहिए।
- बेलपत्र के तीन पत्ते ब्रह्म, विष्णु और महेशा का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसके साथ ही ये सत्व, रजस और तमस भी दर्शाते हैं।
- शिवलिंग पर बेलपत्र अर्पित करते समय उसकी तीनों पत्तियों पर चंदन लगाएं।
- वहीं चंदन वाला पत्ता शिवलिंग को स्पर्श करें और उसकी टहनी नंदी महाराज की ओर हो। ऐसा करने से शिवजी प्रसन्न होते हैं।
- बेलपत्र चढ़ाते वक्त ‘ऊं बेलपत्राय नम:’ मंत्र का उच्चारण करना चाहिए।
शिवलिंग पर संकल्प लेकर बेलपत्र चढ़ाने से भगवान शिव उसके जीवन के सभी तरह के दुखों को खत्म करते हैं और उसे खुशहाल जीवन का आशीर्वाद देते हैं। सावन माह में जब भी शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने जाए तो उक्त नियमों का ध्यान जरूर रखें।
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